Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 01 Aagamiy Sooktaavalyaadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 44
________________ [भाग-1] श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगमीय सूक्तावलि [जाताधर्मकथासूक्तानि] आगमी ज्ञाताधर्मकथायाः सूक्तानि सूक्तावली ॥३२॥ नंदिफलाह व इहं सिवपहपडिवण्णागाण विसया उ। | तह धम्मपरिभा अधम्मपत्ता इहं जीथा ॥ तभक्खणाओं मरणं जह तह विसएहि संसारो॥ । पार्वेति कम्मनरवश्वसया संसारवाहयालीए । तब्वजणेण जह इट्टपुरगमो विसयवजणेण तहा। आसप्पमद्दपहि व नेरदयाइहिं दुक्खाई॥ (२३४) परमानंदनिबंधणसिवपुरगमणं मुणेयव्यं ॥ (१९५) | १३ जह सो चिलाइपुतो सुंसुमगिद्धो अकजपडिबद्धो । १० सुबहुंपि तवकिले सो नियाणदोसेण दृसिओ संतो। धणपारद्धो पत्तो महाडवि बसणसयकलियं ॥ न सिवाय दोवतीए जह किल सुकुमालियाजम्मे ॥ (२२७) तह जीवो विसयसुहे लुद्धो काऊण पावकिरियाओ। ११ अमणुन्नमभत्तीय पत्ते दाणं भवे अणस्थाय । कम्मबसेणं पावर भवाडवीए महादुक्खं ॥ जह कड़यतुंबदाणं नागसिरिभवमि दोवइए ॥ (२२७)| घणसेट्टीविव गुरुणो पुत्ता इय साहवो भवो अडवी । १२ जह सो कालियदीयो अणुवमसोक्खो तहेव जाधम्मो । सुयमंस मिचाहारो रायगिह इह सिवं नेयं ॥ जह आसा तह साह वणियबऽणुकूलकारिजणा ॥ जह अडबिनयरनिस्थरणपावणत्थं तपहिं सुयमंसं। जह सद्दाइअगिद्धा पत्ता नो पासबंधणं आसा। भुत्तं तहेह साहू गुरुण आणाएँ आहारं ॥ तह विसएस अगिद्धा यजति न कम्मणा साह॥ भवलंधणसिवपावणहेउं भुजंति ण उण गेहीए । जह सच्छदविहारो आसाणं तहय इह घरगुणीणं । वण्णबलरुवहेउं च भावियप्पा महासत्ता ॥ (२४२) जरमरणाई विवज्जिय संपत्ताऽऽर्णदनिव्वाणं ॥ १४ वाससहस्संपि जई काऊणं संजमं सुविउलंपि । जह सद्दाइसु गिद्धा बद्धा आसा तहेव विसयरया । अंते किलिट्ठभावो न बिसुज्झह कंडरीउ व ॥ पावति कम्मबंध परमामुहकारणं घोरं ॥ अप्पेणवि कालेणं केइ जहागहियसीलसामण्णा। जह ते कालियदीवा णीया अन्नत्थ दुहगणं पत्ता । साहिति निययकजं पुंडरीयमहारिसिव जहा ॥ (२४६) ॥३२॥ पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: आगमीय-सूक्तावलि-आदि (आगम-संबंधी-साहित्य) "आगम-संबंधी-साहित्य" श्रेणी [भाग-1] ~44~

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