Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 01 Aagamiy Sooktaavalyaadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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[भाग-1] श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि
आगमीय सूक्तावलि [आवश्यकसूक्तानि] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: आगमीय-सूक्तावलि-आदि (आगम-संबंधी-साहित्य)
आवश्यकस्य सूक्तानि
श्रीआगमीयसूक्तावली ॥५ ॥
अमरनररायमहि तित्थपरमिमरस तित्थस्स ॥ . (६०)। १२ अह वहर सो भयवं दियलोयचुभो अणोचमसिरीओ। ४ त्वद्वाक्यतोऽपि केपाश्चिदबोध इति मेऽद्भतम् ।
देवगणसंपरिखुडो नंदाइ सुमंगला सहिओ ॥ भानोमरीचयः कस्य, नाम नालोकहेतवः ॥ | १३ असिअसिरओ सुनयणो बिंबुट्ठो धवलदंतपंतीओ। ५न चागतमुलूकस्य, प्रकृत्या क्लिएचेतसः।
___ वरपउमगभगोरो फुल्लुप्पलगंधनीसासो ॥ स्वच्छा अपि तमस्त्वेन, भासन्ते भास्वत: कराः॥ (६८) | १४ जाइस्सरो अभयवं अप्परिवडिएहि तिहि उ नाणेहिं । ६ संसारसागराओ उब्वुडो मा पुणो नियुडिजा। ____ कंतीहि य बुद्धिहि य अभहिओ तेहि मणुएहि ॥ (१२६) चरणगुण विष्पहीणो बुडा सुबहुंचि जाणतो ॥ .. (७०) १५ अमूढलक्खा तित्थयरा
(१५३) ७ उवसामं उवणीआ गुणमहया जिणचरित्तसरिसंपि। १६ दुम्भासिएण इकेण मरीई दुक्खसायरं पत्तो।
पडिवायंति कसाया कि पुण लेसे सरागत्ये? ॥ ___ भमिओ कोडाकोडिं सागरसरिनामधेजाणं ।। ८ जद उबसंतकसाओ लहर अणंतं पुणोऽथि पडियायं । १७ तम्मूलं संसारो नीआगोतं च काति तिवईमि ।
ण हु मे वीससियब्बं थेवे य(ऽघि) कसायसेसंमि ॥ ____ अपडिकतो बंमे कविलो अंतद्धिओ कहए ॥ (३७१) ९ अणथोवं वणथोवं अग्गीथोवं कसायथोवं च ।
१८ जस्स प इच्छाकारो मिच्छाकारोय परिचिया दोऽवि । णहु मे वीससियध्वं थेपि हुतं बहुं हो ॥ (८३)| तइओ य तहकारो न दुलभा सोग्गई तस्स .. १० कस्स न होही बेसी अनभुवगमओ अनिरुचगारी अ। १९ एगग्गस्स पसंतस्स न हाँति इरियाश्या गुणा होति । ___अप्पच्छंदमईओ पट्टिअओ गंतुकामो अ॥
गंतब्यमवस्सं कारणमि आवस्सिया हो ॥ २६५ : ११ विणोणएहिं कयपंजलीहि उंदमणुमत्तमाणेहिं । २०-णिहाविगहापरिवजिएहि गुत्तेहिं पंजलिउडेहिं।
आराहिमो गुरुजणो सुर्य बहुविहं लहुं देव ॥ (१००)। भत्तिबहुमाणं पुव्वं उपउत्तेहिं सुणेययं ॥
RRRRRRRNEWA.AANE
“आगम-संबंधी-साहित्य" श्रेणी [भाग-1]
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