Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(१२) रसराज महोदधि ।
अथ साध्यलक्षण. रोगीआदमीका सबशरीर शोभायमान होय चेहरा ज्योंका त्यों रहै मुख रूखा रहै दाँत सफेद रहैं वो रोगी जीवै ओंठ लाल हैं शरीरमें मैल बास न रहै कानसे सुनै ये लक्षणका रोगी जीवै. और जिसके पैरगर्म रहैं और कपडामें खराब बास नहीं आवै मधुर वचन बोलै वह रोगी अवश्य जीव सबेरे रोगीका मूत्र पानी सरीखा हो तो वह रोगी मरै नहीं.
असाध्यलक्षण. देहकी शोभा जाती रहै. और चेहरा भयंकर होय रात दिन अचेत रहै तो वह रोगीअवश्य मरैऔर रोगी का मुँह रोरी सरीखा होय. जीभ काली होय और वचन दब दब बोले वह रोगी असाध्यहै. और जिस रोगीके शरीरमें खराब बास आवै तो वह रोगी असाध्य. आँखि बैठ जाय और किसीको पहिचाने नहीं और बोले औरका और तो वह रोगी असाध्यहै.
अथ मलज्वरलक्षण. कंठ सूखै, दाह बहुत होय, मस्तक पीडा होय, भ्रम उपजे, मूर्छा होय, हड फूटनी होय, हिचकी, पेटमें शूल, वमन होय तो मल ज्वर लक्षण जानो.
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