Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(१३४) रसराज महोदधि । आलस्य आवै, ज्वरहो, अन्न पकै नहीं, अंगों में सूजन हो तो आमवात जानिये.
अथ मिश्रित आमवातके लक्षण. कोपको प्राप्त हुआ जो आमवात वह सब रोगों में कष्टसाध्य होताहै अब उसका दोष लिखते हैं. हाथ, पैर, शिर,गांठ त्रिकस्थान और जांघोंकी संधियों में प्राप्त होकर बिच्छूके डंकके समान पीड़ा करे औ इन्हीं २ स्थानोंमें सोजा हो अग्नि मंद होजावे उत्साह जातारहै, अरुचिहो, शरीर भारी रहै मुखका स्वाद जाता रहै,मूत्र बहुत उतरै,कुक्षिमें कठिन शूल हो नींद नहीं आवै व वमन हो, तृषा अधिकलगै, भ्रम और मूर्छाहो, मल उतरै नहीं, शरीर जड होजाय, आंतें बोला करें, अफारा हो और वातव्याधिके कहे हुए और भी उपद्रव हों और जिस्में पित्त अधिक हो ऐसे आमवातमें दाह और पीलापन हो और बाताधिक आमवातमें शूल हो कफाधिकमें जडता हो शरीर भारी रहै खरज चलै येलक्षण जानो.
अथ आमवातकी दवा. रास्ना देवदारु अमलतास सोंठि मिर्च पीपल अरंडजड़ सांटी गिलोय इन्हों के काढ़ामें सोंठिका कल्क मिलाय पीनेसे आमवात जावै.
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