Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 199
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१७४) रसराज महोदधि। पुनः यह तेल लकवाको गुण करताहै. सफेद कनेरकी जड़ का छिलका सफेद चिमिटीकी दाल काले धत्तूरका पत्ता सब दवा दो दो तोला चारि चारि मासे लेना फिर कूटिके टिकिया बनाकर पावभर तेलमें टिकिया डालि खूब घोटै तब अग्निपर चुरावै जब दवा जल जाय तौ उतारि ठंढा करि अर्धाङ्गवायवालेके और पक्षापात वालेके तेल मलनेसे शरीरका रोग दूर होय. पुनःमिचादि लेप. कालीमिर्च महीन पीसि कर तेलमें मिलाय गर मकर पतला लेप करै तो पक्षाघातको तुरंत नाश करै इसके बरावर दूसरी दवा नहीं. पुनःवचका पाक. लकवाकी दवा अजमाई हुई वच ५ तोले सोंठि कालाजीरा प्रत्येक दो दो तोले एकमें मिलाय कूटि कपडछान करि शहदमें मिलाके साढे ३ मासे नित्य खाय तो अच्छा होय. पुनःलकवाकी दवा. बच ३ तोले कालीमिर्च पोदीना स्याहजीरा कलौंजी प्रत्येक दश२ मासे सब कूटि कपडछान करि पावसेर शहदमें मिलाय सात मासे खावे तो पक्षाघात लकवाको दूरकरै. For Private and Personal Use Only

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