Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 201
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१७६) रसराज महोदधि । करै मालकांगनी एरंडीके बीज असगन्ध आमाहरदी सब पीसि भेडीके दूधमें मिलाय गरमकर लेप करे तो अच्छा होय मूजन हदै, . अथ अजीर्णका बयान. पेट भारी रहे शिर भारी रहे आलस रहे देह टूटे मुँहसे पानी छूटे तो जानो कि अजीर्ण हुआ और पेटमें पीडा, जंभाई बहुत आवे, अजीर्ण में गरम पानी पीना हित है स्नेह जुलाब देना उलटी करना हित है जलदी से इसकी दवा करै नहीं तो नाना प्रकारका रोग पैदा करता है. अथ आहारका बयान. हलकी रोटी तुरत पचजाती है मावेदार रोटी देरमें पचतीहै गरम गरम रोटी भोजन करनेसे उदर की तरीको सोख लेती है ठंढी रोटी उदरको तर करती है और सूखी रोटी भोजन करनेसे रोग पैदा करती है और दालि तरकारी कच्ची नरहै अच्छी तरह से चुराइ लेइ रोटी भी अच्छी तरहसे सिझाइ लेय भोजन से मनुष्य का जीवन आधार है सो मनुष्य को चाहिये कि सँभारि के भोजन करै कच्ची पक्की देखि लेय और गरम शरद देखि लेय और जब तक अच्छी क्षुधा न लगै तब तक भोजन न करै. अथ मलका बयान. मनुष्य को चाहिये कि मल को दो दफे For Private and Personal Use Only

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