Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 166
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसराज महोदधि । अथ पाण्डुरोगका वर्णन. प्रथम पाण्डुरोग पांच प्रकारका उपजैहै जैसे वातको पित्तको कफको सन्निपातको मिट्टीखानेको और खेद करने से खटाई खानेसे दिनके शयन से तीखी वस्तु खानेसे या ये सब वस्तु वनी खानेसे वात पित्त कफके कोप से मनुष्यका लोहू बिगड़के शरीरकी त्वचाको पीली कर देता है शरीर में पीडा और सूजन होय है. (989) वातपाण्डुका लक्षण जिसकी त्वचा, मूत्र, नेत्र रूखे तथा काले वा लाल होयँ और शरीरमें कम्प हो, अफारा हो भ्रमादिक हो; ये लक्षणहों तो बातका पाण्डुरोग जानो. पित्तके पाण्डुका लक्षण जाके मल मूत्र नेत्र पीले हों, शरीरमें दाह हो, तृषा ज्वर हो; और मल पतला होय; शरीर पीला होय ये लक्षण पाण्डुरोगके जानो. For Private and Personal Use Only कफपाण्डुका लक्षण. मुखसे थूक निकले, शरीरमें सूजनहो, तन्द्रा हो, आलस्य आवै, शरीर भारीहो, त्वचा, नेत्र, मूत्र सफेद रंग होय तो कफका पाण्डुरोग जानो. अथ सन्निपातपाण्डुका लक्षण - ज्वरहो, अरुचि हो; हिया दूखै; छर्दि होवै; प्यास

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