Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि। (१७१) सुखायके एक तोले गायके दूधके साथ ४० दिन खाय तो शरीर निरोग होय. और इस विधिसे वर्षदिन खाय तो महाबली होय आचारसे रहै. फिर वही चूर्ण शामको पानीमें भिगावै और सबेरे बालोंमें मलै तो बाल काले होयँ फिर वही चूरण इकइसदिन खाय
और ब्रह्मचर्यसे रहै तो अग्निमें मुख न जरै और पानी में डूबे नहीं और जिस मुंडीमें फल फूल नहीं लगा होय तो उसको उपारि लावै और छायामें सुखाय चूरण कर दूधमें पीवै तो ब्रह्मज्ञानी होय आगमजानै महासिद्ध होय फिर उसी चूरणको पानीमें भिगोय आंखमें डारै तो आंख रोग दूर हों और फिर वही चूरण जौके आटामें मिलाय गायकी छाँछ लेकर सानै और रोटी बनाकर गायके घीके साथ खाय तो कायाकल्प होय सुवर्ण जैसा शरीर होय कुछ दिन सेवै तो पूज्यमान होय ब्रह्मचर्य्यसे रहे फिर मुंडी उखाडके रस निकाल शरीरमें मले तो पीड़ा दूर होय फिर मुंडीका बीज एक तोला रोज खाय वर्षदिन सेवै तो बूढा नहीं होय जो आचारसे रहै.
फिर मुंडीपंचांगले चूरण करके शहदके साथ कुछदिन खाय तो कवि होय और वल बहुत होय.
इति गोरखमुंडी समाप्तम् ।
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