Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 176
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रसराज महोदधि। (१५१) करके एकप्रहर अनिमें तापै आंखकान यानी गलेकेऊपर न लगावै और तापनेसे शरीरमें बजरीसे दाने सब जगह परजायँ तो दूसरे दिन गोबरसे धोय डालै नीरोग्य होय. अथ नोकरससाना असाध्यरोगकी दवा. साम्पुरोमी सात मासे, जीरा करमनी सात मासे, सफेद मिर्च सात मासे, छोटी पिपरी सात मासे, बैरका मगज सातमासे, दालचीनी मोटी साडेतीन मासे, सोंठि चौदह मासे,फरफीऊन चौदह मासे,रुमीमस्तंगी पौनेदो तोले,सुरंजन जंगली जिसको सिंघारा भी कहते हैं पांच तोले सबका चूरण करि साम्युके रसमें गोली बांधे सात मासे जीराके अर्कके साथ खाना बहुत गुणकारकहै. १ महजूमसांदेकी. सुरंजन तीनतोले, सनायकै पत्ती १७ मासे, तगर सात मासे,सोठि७मासे, जीरा करमनीमासे, पीपरी मासे सब दवा कूट कपडछान करके दुवाके बराबरमधु लेके एकमें मिला महजूम तय्यार करै खुराक नौ मासे गर्म पानीके साथ खाय तो सबप्रकारका दर्द दूर होय. २ महजूम. केसरि, अकरकरा, अजवाइन खुरासानी,फरफिऊन, कुलिंजन, इलायची क्डी,पीपस,सब दवाले कपडछान करिके मधुमें मिलाकरके महजूम तय्यार करै खुराक ६मासे मनीको बढ़ाताहै सुस्ती को दूरकरताहै शरीरको मजबूत करताहै. सब तरह के मरजको दूर करताहै. For Private and Personal Use Only

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