Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि । (५५) होतीहै उस बूटीकी लुगदीमें एक तोला तांबा रखके कपड़मिट कर सुखायके गजपुटमें फूंकदे तो भस्म बहुतही अच्छा होय खानेसे लोक प्रसिद्ध होय.
तांबाकी भस्म खानेके गुण. छेद-ताँबेकी खाक बनायके एक रती भर पानमें कोइभि खावै॥पुष्ट शरीर बने अति सुंदर साँझ सवेरे जो दूध सों पावै ॥ तज खान व पान अहार तजै सब दूधरु भात जो भोजनकीजै ॥ बल होय शरीर बनें निश्चय पर सात दिना यह साधन कीजै.
अथ रूपा मारन विधि तितली जो गेहूं चनाके खेतमें होती है उसके रस में रूपा भिगोय रक्खै फिर उसी तितलीकी आध सेर लुगदीमें एक तोला रूपा रखके कपड़मिट करके गजपुट आंच देय तो भस्म होय खुराक एक चावल अनुपान मुवाफिक सब रोग हरै.
रूपा मारनेकी दूसरी विधि. सिका रुपइया अग्निमें लाल करिके मेहँदीके रसमें आठ दफे बुझावै तब मेहँदीकी पत्ती आधा सेर ले लुगदी करिके बीचमें सिक्का रुपइया रखके कपड़ मिट करके सुखायके दोगजपुट आंचदे तो भस्म होय. खुराक एक चावलसे डेढ़ चावलतक.
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