Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि। (५९) बनाय कपड़मिटकरके गजपुट आंचदे तो बहुत अच्छा नागरस बनै लोकप्रसिद्ध होय अनोपान मुवाफिक सब रोग हरै, खुराक एक रत्तीसे डेढ़ रत्तीतक गर्म मिजाज वालेको ठंढे अनोपानमें देवै इसी विधिसे सब रोग हरे.
. अथ सिंगरिफ़ मारनविधि. सिंगरिफ चार तोला लेकर नीबूके पत्तामें खल करके टीकरी बनायके गौरी यंत्रसे आंचदे जो पारा उपरकी हंडीमें उड़के लगे तो सब काममें बैपरै और सब रोग हरै.
अथ गंधक शोधन. गंधकको धीमें लगावै दूधमें बुझावै इस तरह चार दफे लगावै बुझावै और दो दफे भंगराजके रसमें बुझावै तौ शुद्ध होय सब काममें बैपरै (गुण ) बीस प्रकारके परमाको दूर करे और खांसी दमा वगैरह सब रोगों को हरै और छःमहीना गंधक सेवनेसे उसकी दृष्टि गिद्धके समान होय फिर उसके मैलसे तांबेका सोना बने इसमें कुछ संशय नहीं है क्यों कर कि गंधक सब धातुको जलाताहै.
अथ पारा मारन विधिः पारा लेकर सीसीमें डालके उसीमें मकोईका रस डालके एक दिन झकझोरै तब निकालके गूलरके दूधमें खल करै तब फिर हींगका मूसा बनाइके उसी
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