Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि ।
( १०९)
सोहागामें खलकरके पहिले दिन दो सरसोंसे बीस सरसों तक देइ रोगीका बल देखिके और आधासेर दूध के साथ सेवे तो सब उदर रोग नाश होयँ जैसे सिंह हाथीको मारै तैसे यह दवा उदर रोगको मारती है. अथ जलोदरकी दवा
जलीदर में बारंबार जुलाबदे जिससे मल विकार दूर होय अथवा काबुली हरौं का चूर सेंधानमक गोमूत्रमें पीनेसे जलोदर नाशहोय अथवा पीपलका चूर्ण थूहरके दूधमें भिगोय खानेसे जलोदर नाश होय अथवा आनन्दभैरोंरस दूधके साथ कुछ दिन सेवनेसे जलोदर नाश होय. अथवा नीलाथोथा, गन्धक, पिपली, हर्र सब बराबर ले कूट कपड़छान करि थूहरके दूधमें ५ दिन खल करि फिर अमिलतासके काढ़ामेंद दिन खल करि १ मासे नित्य गरम पानीके संगखाय तो जलोदर तथा सम्पूर्ण उदरके रोग जायँ पथ्य अधिक चावलही खाय इमिलीका शर्बत पिये ऊपरसे पान का बीरा खाय तो बहुत फायदा होय.
जलंधर वाले रोगीकी तस्बीर देखना इसी तरहसे पेट सूजता है इस रोगीको बहुत सँभारना चाहिये खद्या मिट्ठा और तीतासे बचना चाहिये और जल्दी ही दवा करे नहीं तो असाध्य होजाता है सो पीछे बहुत दुःख देताहै सो दवा अच्छी २ लिखी है दो दवा और लिखते
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