Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(१३०) रसराज महोदधि । वात दोष. हिन. सिररोग वगैरे रोगको दूर करताहै
अथ बवासीरका लक्षण. वात पित्त कफके कोपसे तीनों के मिलनेसे एक खूनी एक बादी पानी मांसवाली होती है औरएक सहज अर्थात् जन्मके साथही उत्पन्न होती है ये ६प्रकार की बवासीर होती है तीनों दोषोंसे त्वचा मांस वा मेदाको दूषित करके गुदा आदि स्थानोंमें मांसके अंकुर उत्पन्न करते हैं बस उन्हीं मांसके अंकुरोंको बवासीर कहते हैं सो गुदही में नहीं कभीरनाक नेत्रलिंग वा तोंदीमें भी मांसके अंकुर वा मसे होजाते हैं.
अथ बादी बवासीरका लक्षण. हाथ पैर गुदा मुख वृषण इतनी जगह शूल होय पसली में शूल हो खाजु पीड़ा बहुत होय गुदा भारी बहुत हो तो बवासीर रोग असाध्य है.
अथ खूनी बवासीरका लक्षण. तृषा अरुचि गुदामें शूल रुधिर चले देह दुर्बल होय अतीसार होय खाजु बहुत होय गुदाके बीच मस्सा होय ये लक्षण खूनीके हैं
अथ बवासीरका इलाज. कलमी मोरा निसौत दोनों एकमें मिलायके खल
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