Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि। (११७) तब जो वाफ परईके छेदसे निकले उस पर वह पोटरी रक्खै जब पोटरी गर्म होय तो घंटा जंघा और पेडूतक चार दिन सेंके ऊपर से बँगला पान गर्म कस्के इन्द्री पर बांध और पानी से नहाना त्याग करै.
सेंकके पीछे लेप. सफेद कनेरकी जड, जायफल, अफीम, इलायची गुजराती, सेमरके छिकला ये सब वा छः२मासेलेकर कूटकर कपड़छान करके तिल्लीके १ तोले तेलमें मिलायं गर्म कर तीन दिन इन्द्रीपर लेप करै तो उसकी इन्द्रीमें जरूर जोर होगा पर परहेज ऐसा करना कि जिस तरह मुर्गी अपने अंडेको ४० दिनप्रमाण सेवतीहै.
लेपके ऊपर खानेकी दवा. नामर्द होनेसे आदमीकी धातु फट जाती है सुजाक होजाता है पीब बहने लगताहै ( दवा )मुसरी स्याह,असगंधनगौरी,गुलधवा, चना मूंजा हुआ, वैदरा सोंठि, उटंगन के बीज, गाजर के बीज, पोस्ताके फल, ताल मखाना ये सब दवा एक एक तोलाले और सब दवाके बराबर मिश्री मिलायके एक तोला सवेरे खाय ऊपरसे आधा सेर दूध पीवे. इसके खानेके पीछे दूसरी दवा खानेकी
चिलगोजाके बीज, खसखस, सफेद स्याह मुसरी, कुलंजन, लवंग फुलवाली, सालममिश्री, जावित्री,
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