Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(११६) रसान महोदधि। अथ नार्मद अर्थात् वाजीकर्णका वर्णन.
बाजीर्ण उसको कहते हैं जो पुरुष देखने में मोटा और पुष्ट होय पर नामर्द होय नामद सात प्रकारके होतेहैं उनकी उत्पत्ति लक्षण लिखते हैं. .
(१) लौंडेबाजी तथा हथरस करना, कडुई वस्तु और अधिक खटाई खाना, गर्म नोन खाना इन सब चीजोंको अधिक खानेसे आदमी नामर्द होजातेहैं शोक और क्रोधके करनेसेभी बीर्यका नाश होताहै स्त्री धन पुत्र आदिके नाश होनेसेभी नपुंसक होतेहैं इन्द्री में नख लगनेसे तथा वात पित्त कफके कोपसे इन्द्रीकी नसें सूख जाती हैं वह पुरुष नपुंसक होजाताहै यदि इसका दिल चला और स्त्रीके पास गया तो काम नहीं होता और बुद्धि नष्ट होजाती है बल जातारहता है तब दशों इन्द्रियोंमें राग पैदा होताहै इसलिये इसके वास्ते बहुत अच्छी अजमाई हुई दवाई लिखते हैं.
अथ नामर्दकी दवा, सेंक. हाथी और मछलीके दांत का चूर्ण,चाररतोले,लवंग ८ मासे, जायफल दो नग, जंगली प्याज एक नग ये सब दवा कूट कपड़ छान करके दो पोटरी बनावे तब भेड़का दूध १० तोले लेकर एक हंडीमें भरै और उसको परईसे ढांक मट्टी से ताय आग पर रक्खै, परईके बीचमें एक छोटा छेद करै
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