Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसरीज महोदधि। (७३)
अथ टाँकालेप. मुंः संग १ पैसा भरि, राल एक पैसा भरि और घी चार तोले मिलायके मलहम तय्यार कर घावपर लगावै तो तुर्त टाँकी चट्टा अच्छा होय.
फिर लेप. त्रिफला जलाया हुआ मधुमें मिलायके घावपर लेप करै तो बहुत दिनकी गर्मी अच्छी होय घाव भरपूर होजाय पावकी जगह पहिचानमें नहीं आवै.
अथ उपदंशकी हुक्का पीनेकी दवाई. शिंगरफ माजूफल मदारकी जड और भंगराज ये सब चीजें एक एक तोला लेकर एकमें खल करै तब नवमासे चिलममें रखके खैरकी लकड़ीके अंगार धर पीवै तो सब तरहकी गर्मी दूर होय इसके बराबर दूसरी दवा नहीं है.
अथ गर्मीका हुक्का पीना. इन्द्रायणकी पत्ती और इन्द्रायण की जड़ सोराभंगराज ये सब मिलाके चिलममें रखके पीवै तो गर्मी जाय.
अथ आककी गोली. आककी जड एक तोला पांच मासे मिर्च ४ तोले दोनों एक साल करके छोटी मटरके बराबर गुडमें
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