Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(५८) रसराज महोदधि । मिलाके कूटिके कपड़छान करिके शहदके साथ सांझ सबेरे खाय तो सर्व प्रकारके रोग हरै इसमें कुछ सन्देह नहीं.
अथ वंगरसबनानेकी क्रिया. शुद्ध राँगा चार तोले लेकर गलावै नीचे अग्नि जलावै ऊपरसे अमलीके छाल व पीपरीके छाल दोनों का चूर्ण करिकै छोड़ता जाय और राँगाको चलाता जाय तो चालीस मिनटमें भस्म होय बहुत उत्तम बंगरस बनै.
बंगरस खानेका गुण. छंद-बंग सदाशिवको गुणदायक खाय नपुंसक मर्द भयेहैं ॥ खातहि रोग हरै तनुके बल पुष्ट शरीर अतुल्य भयेहैं । अनोपान मुवाफिक पान करै पट भाँति कि व्याधिन दूरि कियेहैं । दिन सातमें काम सुधारनीके अत्यंत नपुंसक मर्द भये हैं.
अथ सीसा मारनविधि. शुद्धसीसा लेकर तांबापर रख गलावै फिर केवडाके डंडासे चलाता जावै और घोटता जावै इसी हिकमतसे एक घंटामें भस्म होवै फिर उस रसको घीकुवारके रसमें आठ पुटदे फिर भंगराजकी आठ पुददे फिर गोदनदुद्धीकी आठ पुटदे फिर गोला
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