Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसराज महोदधि । (५७) अथ लोहा मारन विधि. अच्छा स्वच्छ लोह लेकर रेतै तब अनारका रस एक सेर और चार तोलालोहाका रेत पहले एक बरतनमें रस डालदे फिर उसमें रेत डालदे पंद्रह दिन धूपमें रक्खे तब आधामन गोवरीमें फूंक दे तो बहुत उत्तम लोहासार रस बनै अनोपान मुवाफिक सब रोग हरै.
अथ पोलाद मारनेकी दूसरी विधि.
अच्छा स्वच्छ पोलाद रेतायके धरै फिर ब्रह्मी एक बूटीहै उस बूटीके पत्ताकी लुगदीमें रक्खै पोलाद बीचमें रखिके गोलाबनायकपडमिट कर सुखाय गजपुट आंचदे तो बैंगनी रंग रसबनै सब कामको मातदिल है आमवात आंख और खांसी इन सब रोगों को दूर करता है अनोपान मुवाफिक सब रोगोंको हरण करताहै.
अथ त्रिवंग मारन. शुद्ध एक तोला, शुद्ध राँगा एक तोला, शुद्धसीसा एक तोला, लेकर तांबापर रखिकै चूल्हेपुर रक्खै उसके नीचे अग्नि जरावै करछुलीसे चलाता जावै
और हरप्रियाका रस छोडता जावै तो आध घंटामें नौरंगीके बरन रस बनेगा अनोपान मुवाफिक सब रोग हरे कैसो ज्वर नया पुराना होय तो एक चावल रस और दो मासे चिरैता दोमासे पीपरी दोनों एकमें
For Private and Personal Use Only