Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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रसराज महोदधि (२९) कस्तूरीसों आँजिये, प्रातसमय लवलाय ॥ नृत्य लखै संसारकी, काल रूप दरशाय॥ गंधक संग मिलायके बीसों नखन लगाय ॥ जो नर होय कुमारगी, देखत वश है जाय ॥ जो आजै निज मूत्रसों, खुलै रागिनी राग ॥ जो पीवै घिसि गाभमें, मिटे देहका दाग ॥ गंगाजलसों आंजिये, दोनों नयनों माह ॥ वर्षा वर्षे पुष्पकी, होय अचंभो नाह ॥
यंत्र. १ यह यंत्र गोरोचनसों भोजपत्रपर लिखे फिर गूगुल __ संकरमातु संकरपितु . की धूप देकर कंठमें १०१२ | ४ | द बांधै जिस औरतका
१ | ३ | ४८/१३/ लड़का जीता नहो तो #१६ १५५४ जीवै और होता नहीं २। ७/४७/४४ होय तो होवै,यंत्रलि
als hb खनेकी विधि. अच्छे दिन और अच्छे नक्षत्र में लिखै और जिस जगह किसी चीजपर लिखनेका प्रमाण नहीं है वहां भोजपत्रपर लिखे और जहां कलम नहीं लिखीहै वहां अनारकी कलमसों लिखना चाहिये. और जो
करै परनलक्षीमपति
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