Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(४४ ) रसराज महोदधि । रखकर अग्नि जरावे और इसी मंत्रसे कोई यंत्र होवे
अग्नि जरावै (मंत्र) खाक फूँकै तो मंत्र स्यों ह्रीं क्रीं श्रीं गुरुकी शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ऊं ऊं कर बीज मंत्र इति.
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यंत्र ३७
यह शीशी मृगांक बनानेकी है इसके चारों तरफ अग्निहै बीचमें कांच की सीसीहै, जो
मृगांकके सदृश दवाई बनावे
तो इसी तरहसे बनावे. इति श्री मुन्शी भगवानप्रसाद शिष्य भगत भगवानदास विरचित वैद्यकरसराजमहोदधि वंदना भूमिका रोगविचार नाडीपरीक्षा शरीरकी चेष्टा निरोग होनेका वर्णन स्वप्न विचार दूतपरीक्षा असाध्यलक्षण मलज्वर आठोंज्वरका लक्षण दवा कफज्वर शीतज्वर कामज्वर रक्तज्वर लक्षण उपाय सर्वज्वर दूर होनेका लक्षण वादी बिगडेका लक्षण खून बिगडेका लक्षण वात पित्त मिश्रित होनेका लक्षण वातका लक्षण, और कफ खांसीका लक्षण मन्दाग्नि और संग्रहनीका लक्षण, खूनी बवासीर और दाहका
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