Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(४०) रसराज महोदधि ।
यत्र २९ इस यंत्रको विद्याधर कहते हैं जो किसी धातुका
या कोई दवाईका पारा निकालना होय तो इसी यंत्रसे निकालै सिंगरफ रसकपूर और सेंदुर जिस धातुसे पारा निकलताहै उससे निकालै सिंगरफ २ तोला लेकर नीबीके पत्तामें खल करै तब टिकिया बनाकर नीचेके घड़ाकी पेंदीमें रखके कपड़मिट्टी कर सुखायके उस घ
डेको चूल्हापर रखकर नीचे अग्नि जरावै और सिंगरफसे जो पारा निकलकर ऊपरके घडामें लगै तो वह पारा लोकप्रसिद्ध होय और आधाचावल पानके साथ खाय तो नामर्द मर्द होय.
- यंत्र३०
यह डमरू यंत्र है जो किसी धातुका जौहर उड़ानाहो तो वह दवाई खल करके नीचेकीहंडीमें रक्खे और अग्नि ६ घंटा लगावै जब जौहर उड़के उपरकी हंडीमें लगे तो सब काममें बैपरै अब इसके बनानेकी और एक विधि लिखते
हैं अँवरासार गंधकको चूर्ण करके जौहर दवा
उड़ाये तो सब काममें बैपरे.
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