Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(१०)
रसराज महोदधि। दुष्ट पुरुषको त्याग करै. वैरीसे दूर रहै. और किसीको दुःख देवै नहीं, और विश्वास विचारके करै मिथ्या बोले नहीं, अपनेसे वलवान पुरुषसे युद्ध करै नहीं, स्त्रीका विश्वास करै नहीं. सामके वक्त घड़ी दिन रहे सोवै नहीं. सोनेसे आयुहीन और दरिद्र होता है स्त्रीका सोलह वर्षतक बाला नामहै और बत्तीस वर्षकी स्त्री तरुणी संज्ञा है पचास वर्षतक अधिरूढ़ा पचास वर्षके उपरांत वृद्ध अवस्थाहै रजस्वला. वृद्ध गर्भिणी वैरवाली और गोत्रकी गुरुकी स्त्रीसे मनुष्यको उचितहै कि ऐसी स्त्रीसे भोग करैनहीं जो मूर्ख लोग करते हैं तो पूर्वजन्म में गूंगे होतेहैं और परीक्षित रोग होताहै. वह आदमी सदा कलेशमें रहताहै. मनुष्यको चाहिये कि अपनी स्त्री सिवाय दूसरी स्त्रीसे भोग नहीं करे और स्त्रीको चाहिये कि अपने पतिको छोड़कर दूसरेसे भोग करै नहीं यह धर्म और वेदकी रीतिहै.
अथ स्वप्न विचार. जो स्वप्न मनुष्यको शामसे आधीराततक दीखआवै तो छ-महीनेके अंदर फल करे और आधी रातसे सबेरेतक जो स्वप्न देखै तो दश महीनाके अन्दर फल करै और वैद्य धर्मवाला और भक्तिवाला
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