Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acha
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
रसराज महोदधि। (१७) जिस मनुष्यके होयँ और नाड़ी सर्प हंसकी चाल चले तो वात कफज्वर जानो.
अथ वात कफज्वरकी दवा. कली चूना १० टंक हरताल तबकी १० टंक ले घीकुवारके रसमें ४ पहर घोटै तब गोला बांधि झुरावै फिर गजपुट कर आंच देय शीतल भयेपर रोगीकाबल देखिके १ टंक गरम पानीके साथ देय तो नित्य ज्वर अंतरावर तिजारीज्वर चौथियावर वात कफ ज्वर ये सब ज्वर जायँ.
और काढ़ा. __कायफल सूंठिवच नागरमोथा पित्तपापडा धनियाँ हर्र काकडासिंगी देवदारु भारंगी इन्होंका काढ़ा बनाय पिये तो वात कफज्वर जाय.
अथ कफपित्तज्वर लक्षण. चटचटाहट और मुख कडू होना, आलस्य होना और खांसी आना, अरुचि प्यास बार२ लगै, दाह होय शरीर ठंढा रहै , ये कफ पित्तज्वरके लक्षण हैं.
कफ पित्तज्वरकी दवा. सोंठि पित्तपापडा धमासा इन्होंका काढ़ा कफ पित्तज्वरको दूर करता है.
RSS
For Private and Personal Use Only