Book Title: Updeshratna Kosh
Author(s): Padmajineshwarsuri, Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhak Trust

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Page 9
________________ ख- श्री. उभयन्द्रायार्य हैन नाहर - ॥2॥ 14 नं. ४०१, प्रति नं. १८२८८, ५त्र संध्या-२, प्रथमपत्र आयणाववासरवणाकासाचपादसरातन मंडारश्नासियामासिसालागबासघलाशलाक नाडरवदारियातव्हन नाशकाबश्नवासस्यामानाएकोनपादनारत्रमालावमिकतारजितकादिश्रीमहावारनमकरीन । जीवदयाइनिजामाचनादयाकोडाईदियधागोवमिनारसयाविनाविकानरमा सिकाइजीनसयमपए जयवर्गमाइसदिवासबीवववविझशसाचाबालारधम्मस्सरहस्समिणामधर्मनिरलस्पयननिकालिया सीलनकखंडिनाशायण माननखंडीशनसंवर्सिजसमंसालहि मालिशासापिक्साशनही युरुवान पलिशीयसनांबवाननबंधीनवासनश्याम परमाणजिवधर्मननपरयाधजाणिवाचनमकमि REEडीपरिमिरवितपणाश्वालाविस निवागावासा उमभवषनकीजाणाकलागा वासाशवसकाजशवनालाइहाश्वाकाटशिनानाशमहावितणविकिषि गजना किस्काहनियमिक निजाहाछापणाजाससंबरीशमिनायरियानवकारएकहोमणविमासिका। मालकीडकखकामाप्रलुपशयापणनाचारन लापाशविभागकालकाला पिकलिकालकिसि मिमीमासबकहिनउमावामाशकासविधान दिनाकयाविकहरकूडउँमाननदीन निशाकारानदीनशमणमागाशमाजागा एजनमनविसमधमा, सास Tavaरिसमिरच्यधावाकिश्वगारकाजमयमासकाइपरस्ब याराबाजाननकाधनaamsanammam नेविल बिमार दानबिनपतिश्यामराज अवमाएसावउसाणमनपादभन्माणमाणमनवनाविकोदिनों ख - श्री. उभयन्द्रायार्य हैन शानभाह२ - ५॥2॥ 314६ नं. ४०१, प्रति नं. १८२८८, पत्र संध्या-२, अंतिमपत्र नाई कामबारना किमा कमदतःपवियनाबशमाकाऊकीजयमाविका आपण स्कर्षमापनका मालेबाहाता ताणकारीगरुनडिपाणला परमया समाश्रीवाभरागवाईश गुप्यममाणागाल अविश्रागमिष चंबानमा जलवा किसान गादासा विमानानििदशाशवसमा सागाईममाचिदिवजाणिवन२४मवएसरयामान नपाट्सपर मनायणि विकणखनियको लसपत्रा पणकविश्भकरशामानरसिमुहलबानमुरुषमा भवलमायालरमश्सवातक्षनश्वाखालावबार रमश२५इतिश्रीनपावारनाकाशेवालाबाबाधा श्रीबा व कल्याणम

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