Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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पञ्चमोऽध्यावः
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से स्कन्धों में ही पाये जाते हैं । सूक्ष्मतम पर्याय परमाणु तथा स्कन्ध दोनों में है, तो भी इसके प्रतिपक्षी स्थूलत्व पर्याय की सहचरिता होने से स्पर्शादि के साथ परिगणना नहीं करके शब्दादि में सम्मिलित किया है ।
पूर्वोक्त दोनों सूत्रों में निमित्त भेद ही कारणभूत है। इसलिये ही ये ( २३-२४) सूत्र पृथक् किये गये हैं ।
* प्रश्न - स्पर्शादि की भाँति सूक्ष्मता भी अणु और स्कन्ध दोनों में है । इसलिए सूक्ष्मता का निरूपण स्पर्शादि के साथ २३ वें सूत्र में करना चाहिए ?
उत्तर - स्थूलता केवल स्कन्धों में ही है । अतः स्थूलता का निरूपण इसी सूत्र में करना चाहिए । सूक्ष्मता स्थूलता के प्रतिपक्ष तरीके है और लोकव्यापी प्रचित्त महास्कन्धादि में होती नहीं । यह बताने के लिए स्थूलता के साथ सूक्ष्मता का भी निरूपण इस सूत्र में करने में आया है ।। ५-२४ ।।
5 मूलसूत्रम्
* पुद्गलस्य मुख्यभेदाः *
श्ररणवः स्कन्धाश्च ।। ५-२५ ।
* सुबोधिका टीका *
पुद्गलस्य द्वौ भेदौ । तद्यथा प्रणवः स्कन्धाश्चेति । प्रणोः लक्षणम् "कारणमेव तदन्त्यम् सूक्ष्मो नित्यश्च भवति परमाणुः । एकरसगन्धवर्णो द्विःस्पर्शः कार्य-लिङ्गश्च ।” इति तत्राणवोऽबद्धाः, स्कन्धास्तु बद्धा एव । पदार्थः द्विधा विभज्यते कार्यरूपेण कारणरूपेण, यद्भावे तद्भावम् कारणम् । किन्तु तद्विपरीतम् कार्यम् । इत्थं परमाणुकार्यरूपमेव । यत् तेषां भावे एव स्कन्धानां उत्पत्तिः नान्यथा ।। ५-२५ ।।
* सूत्रार्थ - प्रणु श्रौर स्कन्ध के भेद से पुद्गल दो प्रकार के हैं ।। ५-२५ ।।
विवेचनामृत
पुद्गल के परमाणु और स्कन्ध इस तरह मुख्य दो भेद हैं । व्यक्तिरूप से पुद्गल अनन्त हैं और उनकी विविधता भी अपरिमित है, तथापि पूर्वोक्त सूत्र २३ र २४ में पुद्गल परिणाम की उत्पत्ति के लिए भिन्न-भिन्न कारण कहे गये हैं । उनकी उपयोगिता के लिए संक्षेप से प्रवर्तमान सूत्र द्वारा पुद्गल के दो विभाग किये हैं । एक है अणु अर्थात् परमाणु और दूसरा है स्कन्ध | उक्त दो विभागों में सम्पूर्ण समस्त पुद्गल राशि का समावेश हो जाता है । इस सम्बन्ध में विशेष स्पष्टीकरण इस प्रकार है