Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 212
________________ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे [ परिशिष्ट-३ ७० ] पृष्ठ सं. क्रम सूत्र १३. दर्शनविशुद्धि-विनयसम्पन्नता शीलवतेष्वनति चारोऽभीक्ष्णं ज्ञानोपयोग-संवेगौ शक्तितस्त्याग-तपसी-संघ-साधु-समाधि-वैयावृत्त्यकरणमर्हदाचार्य-बहुश्रुत-प्रवचनभक्ति रावश्यकापरिहारिण-मार्गप्रभावना प्रवचन वत्सलत्वमिति तीर्थकृत्त्वस्य ।। ६-२३ ।। १४. दुःख-शोक-तापा-ऽऽक्रन्दन-वध-परिदेवनान्यात्मपरोभय स्थान्यसवेद्यस्य ।। ६-१२ ॥ १५. निर्वर्तना-निक्षेप-संयोग-निसर्गा द्वि-चतु-द्वि-त्रिभेदाः परम् ।। ६-१० ॥ १६. निःशील-व्रतत्वं च सर्वेषाम् ।। ६-१६ ॥ १७. परात्मनिंदाप्रशंसे सदसद्गुणाच्छादनोद्भावने च नीचर्गोत्रस्य ।। ६-२४ ।। १८. बह्वारंभ-परिग्रहत्वं च नारकस्यायुषः ।। ६-१६ ।। १६. भूत-वृत्यनुकम्पा दानं सरागसंयमादियोगः क्षान्तिः शौचमिति सवेद्यस्य ।। ६-१३ ।। २०. माया तैर्यग्योनस्य ।। ६-१७ ॥ २१. योगवक्रता विसंवादनं चाशुभस्य नाम्नः ।। ६-२१ ।। २२. विघ्नकरणमन्तरायस्य ॥ ६-२६ ॥ २३. शुभः पुण्यस्य ।। ६-३ ।। २४. स प्रास्रवः ॥ ६-२ ॥ २५. सकषायाऽकषाययोः साम्परायिकर्यापथयोः ६-५ ।। २६. सरागसंयम-संयमासंयमा-ऽकामनिर्जरा-बालतपांसि देवस्य ॥ ६-२० ॥ ॥ इति श्रीतत्त्वार्थाधिगमस्य षष्ठाध्यायेऽकाराद्यनुक्रमणिका ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264