Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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पूज्य श्री सुशील गुरुदेवश्री
की जीवन-झलक
* जन्म-वि. सं. १६७३, भाद्रपद शुक्ला द्वादशी,
चारणस्मा (उत्तर गुजरात) २८-६-१७ * दीक्षा -वि. सं. १९८८, कार्तिक (मृगशीर्ष ) कृष्ण २,
उदयपुर (राज. मेवाड़) २७-११-३१ गणि पदवी-वि. सं. २००७, कार्तिक (मृगशीर्ष) कृष्ण ६,
वेरावल (गुजरात) १-१२-५० पंन्यास पदवी-वि. सं. २००७, वैशाख शुक्ला ३ (अक्षय तृतीया)
___ अहमदाबाद (गुजरात) ६-५-५१ उपाध्याय पद-वि. सं. २०२१, माघ शुक्ला ३,
मुडारा (राजस्थान) ४-२-६५ * प्राचार्य पद-वि. सं. २०२१, माघ शुक्ला ५ (बसन्त पंचमी)
मुडारा ६-२-६५
* अलंकरण के
साहित्यरत्न, शास्त्रविशारद एवं कविभूषण अलंकरण--श्री चरित्रनायक को मूडारा में पूज्यपाद प्राचार्य भगवन्त श्रीमद् विजयदक्ष सूरीश्वरजी म. सा. के वरदहस्त से अर्पित हैं।
२. जैनधर्मदिवाकर -वि. सं. २०२७ में श्री जैसलमेर तीर्थ के प्रतिष्ठा-प्रसंग पर श्रीसंघ
द्वारा। ३. मरुधरदेशोद्धारक -वि. सं. २०२८ में रानी स्टेशन के प्रतिष्ठा प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ४. तीर्थप्रभावक -वि. सं. २०२६ में श्री चंवलेश्वर तीर्थ में संघमाला के भव्य प्रसंग पर
श्री केकड़ी संघ द्वारा।
५. राजस्थान-दीपक-वि. सं. २०३१ में पाली नगर में प्रतिष्ठा प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ६. शासनरत्न - वि. सं. २०३१ में जोधपुर नगर में प्रतिष्ठा-प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ७. श्री जैन शासन शणगार-वि. सं. २०४६ मेड़ता शहर में श्री अंजनशलाका प्रतिष्ठा
महोत्सव के प्रसंग पर । ८. प्रतिष्ठा शिरोमणि-वि. सं. २०५० श्री नाकोड़ा तीर्थ में चातुर्मास के प्रसंग पर ।