Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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25 मूलसूत्रम् -
श्राकाशस्यावगाहः ।। ५- १८ ।।
शरीर - वाङ्मनः प्राणापानाः पुद्गलानाम् ॥ ५-१६ ॥ सुख-दुःख- जीवित-मरणोपग्रहाश्च ।। ५-२० ।। परस्परोपग्रहो जीवानाम् ।। ५-२१ ।।
* हिन्दी पद्यानुवाद
5 मूलसूत्रम्
प्रकाश ही अवकाश देता तन वचन मन श्वास को । सुख दुःख जीवित मरण उपकार पुद्गल वास को || उपकार एक से एक सह है जीवद्रव्य की भावना । छोड़ो हित हित साध लो सुशील की सद्भावना ।। ६ ।।
श्री तत्वार्थाधिगमसूत्रे
वन्तश्च ।। ५-२४ ॥
वर्तना परिणामः क्रिया-परत्वापरत्वे च कालस्य ।। ५-२२ ।
स्पर्श-रस- गन्ध-वर्णवन्तः पुद्गलाः ।। ५-२३ ॥
शब्द - बन्ध सौक्ष्म्य स्थौल्य संस्थान भेद तमश्छायाऽऽतपोद्योत
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* हिन्दी पद्यानुवाद
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प्रणवः स्कन्धाश्च ।। ५-२५ ॥
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[ हिन्दी पद्यानुवाद
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वर्तना परिणाम क्रिया परत्व अरु अपरत्व से । काल के ये पाँच कर्म कहे भेद प्रभेद से ।।
काल की व्याख्या करे जब सूत्र का सारांश है । सूत्र बाईस पूर्ण हो तब पुद्गलों का अर्थ है ।। ७ ।।
स्पर्श रस गन्ध वर्णी पुद्गलों को जानिये । नः शब्द बन्ध सूक्ष्म स्थौल्य संस्थान भेद मानिये || अन्धकार छाया श्रातप श्रौर जाणो उद्योत से । अणु तथा फिर स्कन्ध भावित कहे भेद ये श्रुत से ।। ८ ।।