Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतस्वार्थाधिगमसूत्रे
[ ५।२५
परमाणु यानी पुद्गल का अन्तिम में अन्तिम अंश । इसलिए ही उसको परम अन्तिम अणु-अंश = परमाणु कहने में आता है । परमाणु पुद्गल का अविभाज्य अन्तिम विभाग है । जिसका सर्वज्ञ श्री केवली भगवन्त भी दो विभाग नहीं कर सके, ऐसा ही चरम अंश है । उसकी आदि, मध्य और अन्त भी वह स्वयमेव ही है । अर्थात् सदा ही अबद्ध = छूटा ही होता है । यह स्वयमेव ही एकप्रदेशरूप है । परमाणु कारणरूप होने से अन्य द्वयणुक आदि कार्य होते हैं । इससे वह कारण बनता है किन्तु वह किसी में से उत्पन्न नहीं होने से कभी भी कार्यरूप नहीं होता = नहीं बनता । वह सूक्ष्म होता है । उसका कदापि विनाश नहीं होता है । भले उसके पर्याय बदलते रहते हैं, तो भी उसका सर्वथा विनाश कभी नहीं होता है । उसमें कोई भी एक रस, कोई भी एक गन्ध तथा कोई भी एक वर्ण और दो स्पर्श अवश्य होते हैं । वे भी स्निग्ध-शीत, स्निग्धउष्ण, रूक्ष- शीत, रूक्ष-उष्ण इन चार विकल्पों में से किसी भी एक विकल्प के दो स्पर्श जानना ।
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एकाकी परमाणु कभी नेत्र-नयन से देखने में आता नहीं है, इतना ही नहीं किन्तु अनुमान आदि से भी नहीं जाने जाते हैं । जब अनेक परमाणु एकत्र होकर कार्य रूप में परिणमते हैं, तभी अनुमान द्वारा एकाकी परमाणु का ज्ञान होता है । दृश्यमान घट-पट इत्यादि कार्यों में परम्परा से अनेक कारण होते हैं । उनमें अन्तिम जो कारण है, वह 'परमाणु' ही है ।
अन्य कारिकाओं द्वारा परमाणु का लक्षण बताते हुए भी कहा है कि
कारणमेव तदन्त्यं सूक्ष्मो, नित्यश्च भवति परमाणुः । एकरसगन्धवर्णो, द्विस्पर्श: कार्यलिङ्गश्च ॥
स्कन्ध - परस्पर संयुक्त दो इत्यादि परमाणुत्रों के समूह को 'स्कन्ध' कहते हैं । प्रकार के हैं । सूक्ष्मपरिणामवाले और बादरपरिणामवाले ।
स्कन्ध दो
सूक्ष्म परिणाम वाले स्कन्ध आँखों से देखने में नहीं आते हैं । बादर परिणामवाले स्कन्ध हाँखों से देखने में आते हैं । अतः दृश्यमान घंटादि सभी स्कन्ध बादरपरिणामी ही हैं ।
बादर परिणाम वाले स्कन्धों में आठों स्पर्श होते हैं तथा सूक्ष्म परिणाम वाले स्कन्धों में चार स्पर्श होते हैं । मृदु और लघु ये दो स्पर्श नियत होते हैं । अन्य दो प्रकार के स्पर्श अनियत होते हैं ।
[ 'स्निग्ध-उष्ण, स्निग्ध-शीत, रूक्ष-उष्ण, रूक्ष- शीत' इन चार विकल्पों में से कोई भी दो स्पर्श होते हैं ] रस, गन्ध और वर्ण दोनों प्रकार के स्कन्धों में सर्व प्रकार के होते हैं । परमाणु और स्कन्ध दोनों पुद्गल रूप में समान होते हुए भी दोनों की उत्पत्ति के कारण भिन्न होने से वे भिन्न हैं । इन दोनों की उत्पत्ति किस तरह से होती है, यह श्रागे के सूत्र में वर्णन करते हैं ।। ५-२५ ।।