Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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वाराणसी की नैग्मेष मृण प्रतिमाएं : एक अध्ययन
डॉ० श्रुति मिश्रा वाराणसी से मानव शरीर एवं पशु मुख के सादे अंकन की लगभग ३७ मृण्मूर्तियाँ राजघाट (२९), सराय-मोहाना (१), सारनाथ (१) से प्राप्त हैं। इन मृण्मूर्तियों में अत्यन्त साधारण शैली में निर्मित वस्त्र विहीन शरीर, लम्बे लटकते अजकर्ण, एवं पंखा सदृश शिरोभूषा अलंकरण है। अजमुख इनकी विशेषताएं हैं। प्रो० वासुदेव शरण अग्रवाल ने अहिच्छत्रा से प्राप्त ऐसी विशेषताओं की प्रतिमा को नैग्मेष प्रकार का कहा है (अग्रवाल वी०एस०, १९८५ : ३०-३१)। वाराणसी से भी इसी वर्ग की नैग्मेष एवं नैग्मेषी मृणाकृतियाँ प्राप्त हुई है जिसमें चार वर्ग दिखते हैं : (अ) यज्ञोपवीत का अंकन (ब) नैग्मेष (अजमुख) मृण्मूर्तियाँ (सं) नैग्मेषी (अजमुख स्त्री) मृण्मूर्तियाँ (द) नैग्मेष मानव मुख प्रकार (अ) यज्ञोपवीत का अंकन : राजघाट से कुशाणकालीन. ३ नैग्मेष की मृणाकृतियाँ प्राप्त हैं। इन आकृतियों में यज्ञोपवीत का अंकन है। नैग्मेष मृणाकृतियों में यज्ञोपवीत का अंकन वाराणसी क्षेत्र की विशेषता है। क्रम सं० १. राजघाट, खात सं० IV., स्तर सं० २; ए०सी०सी० नं० १०४ आकार : ९ से०मी० चित्र सं० १ अजमुखी नैग्मेष मूर्ति (हाथ भग्न)। परिष्कृत मिट्टी से हस्तनिर्मित, अच्छी पकी (लाल), पोत विहीन मृण्मूर्ति। “नैग्मेष मृण्मूर्ति के रूप में सम्बोधित एवं प्रकाशित (नारायन, ए०के० एवं पी०के० अग्रवाल, १९७८ : ८५)। मूर्ति में चुटकी से उभार कर मोटी शुकाकार नाक पर चौड़ा चीरा मुख, मिट्टी की गुटिका चिपकाकर मोटी शुकाकार नाक पर चौड़ा चीरा मुख, मिट्टी की गुटिका चिपकाकर आँखे एवं पुतली का अंकन है। कंधे तक लटके लम्बे कान अलग से जोड़े गये हैं। इस मृणाकृति के हाथ-पैर के सिरे पर लम्बा चीरा एवं बाँए कंधे से दाहिनी कमर तक टेढ़ी खाँच रेखा