Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 138
________________ गुजराती अनुवाद : तो पण पितानी आज्ञा उल्लंघनीय नथी तेम मानी कहुं छु. जंबुद्धीपना धरतक्षेत्रमा अति प्रसिद्ध कुशाय नामना नगरमां नरवाहन नामनो राजा छे. हिन्दी अनुवाद : फिर भी पिता की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, ऐसा मानकर मैं वृत्तान्त कह रही हूँ। जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में कुशाग्रनगर नामक नगर में नरवाहन नाम का राजा है। गाहा : अत्थि पुरं सुपसिद्धं तत्य य नर-वाहणो पुहइ-नाहो । रयणवई से देवी तीए घूया अहं ताय! ।।१४२।। संस्कृत छाया : अस्ति पुरं सुप्रसिद्धं तत्र च नरवाहनः पृथिवीनाथः । रत्नवती तस्य देवी तस्या दुहिताऽहं तात ! ।।१४२।। युग्मम् गुजराती अनुवाद :___ रत्नवती नामनी तेनी राणी छे. हे पिता! तेमनी हु सुरसुंदरी नामनी पुत्री छु. हिन्दी अनुवाद : रत्नवती नाम की उसकी रानी है। हे तात! मैं उन्हीं की सुरसुन्दरी नाम की पुत्री हूँ। गाहा : सुरसुंदरित्ति-नामा पुव्विं दुविहिय-कम्म-परिणामा। वेरिय समेण केणइ पिसाय-रूवेण अवहरिया ।। १४३।। संस्कृत छाया : सुरसुन्दरीतिनाम्नी पूर्व दुर्विहितकर्मपरिणामा । वैरिसमेन केनाऽपि पिशाचरूपेणाऽपहृता ।।१४३।। . गुजराती अनुवाद : पूर्वना दुर्विहित कर्मना विपाकने लीधे पिशाचरूप दुश्मन समान कोइए माझं हरण कर्यु.

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