Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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गुजराती अनुवाद :
तेथी तुं शोक न कर, आ पण तारा पितार्नु ज घर छे. विविध क्रीडाओ वडे. रमती विश्वासपूर्वक रहेजे! हिन्दी अनुवाद :___इसलिए तूं शोक न कर, यह भी तुम्हारे पिता का ही घर है। यहाँ विविध प्रकार की क्रीड़ाएँ करते हुए विश्वास पूर्वक रहो। गाहा :
एवंविह-वयणेहिं आसासित्ता निजुत्तरीएण। अंसुय-धोय-कवोलं तीए मुहं संपमज्जित्ता ।।१५१।। मुह-सोयं दाऊणं नीया देवीए मंदिरे नियए।
तत्थवि उधिग्ग-मणा अच्छइ गुरु-सोय-संतत्ता ।।१५२।। संस्कृत छाया :
एवंविधवचनैराश्चास्य निजोत्तरीयेण । अश्रुकधौतकपोलं तस्या मुखं सम्प्रमृज्य ।।१५१।। मुखशौचं दत्त्वा नीता देव्या मन्दिरे निजके ।
तत्राऽप्युद्विग्नमना आस्ते गुरुशोकसन्तप्ता ।।१५२ ।। युग्मम् गुजराती अनुवाद :
स प्रमाणे मधुर वचनो वडे आश्वासन आपीने पोताना उत्तरीय वस्त्रवड़े अश्रुजलथी श्रीना थइ गयेला गंडस्थलवाळा तेना मुखने लुछी नाखीने. मुख शुद्धि करावीने पछी कमलावती देवी तेने पोताना महेलमां लइ गइ. त्यां पण शोकातुर रवी ते खुब ज उद्विग्न मनवाळी रहे छे. युग्मम्. हिन्दी अनुवाद :
ऐसे मधुर वचन से आश्वासन देकर अपने उत्तरीय (वस्त्र) से उसके आँसुओं से भीगे ललाट वाले मुँह को पोछकर...
मुख शुद्धि कराकर कमलोवती देवी उसे अपने महल में ले गयी। वहाँ भी शोकातुर वह उद्विग्न मनवाली रहती है। गाहा :
नीससइ दीह-दीहं खणेण थूलंसुगई मिल्लेइ । मुच्छिज्जई खणेणं खणेण संवरइ अप्पाणं ।।१५३।।