Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 174
________________ हिन्दी अनुवाद : जैसे बहुत समय से कोई परिचित न हो ऐसे उस युवक को देखा। आँखों में आँसू भर गए, पूरा शरीर रोमांचित हो गया। गाहा : फुरफुरियं अहरेणं उल्लसियं भुय-लयाहिं सहसत्ति । ऊससियं च थणेणं थरहरियं ऊरु-जुयलेणं ।। २२६।। संस्कृत छाया :पोस्फुरितमघरेणोल्लसितं भुजलताभ्यां सहसेति । उच्छ्वसितं च स्तनेन (चरहरियं) कम्पितं अरुयुगलेन ।।२२६।। गुजराती अनुवाद : अधरोष्ठ फरकवा लाग्या, सहसा बाहु लताओ उल्लसित थइ. स्तनयुग्म उछळवा लाग्या, छने साथळ कंपवा लाग्या. हिन्दी अनुवाद : होठ फड़कने लगे। अचानक दोनों बाहू उल्लसित हो गए, स्तनद्वय उछलने लगे, दोनों जांघे काँपने लगीं। गाहा : सुत्ताव मुच्छिया इव मत्ता इव विगय-चेयणा जाया। सोहग्ग-मंदिरं तं दद्वणं चित्त-लिहियंपि ।। २२७।। संस्कृत छाया : सुप्तेव मूर्छितेव मत्तेव विगतचेतना जाता । सौभाग्यमन्दिरं तं छट्वा चित्रलिखितमपि ।। २२७।। गुजराती अनुवाद : चित्रपटमां आलेखेल सौभाग्यना मंदिर समान ते युवानने मात्र जोईने पण सुप्त-मूर्छित अने मोहितनी जेम हुं चेतना रहित थई। हिन्दी अनुवाद : चित्रित सौभाग्य के मन्दिर के समान उस युवक को देखकर जैसे मोहित होकर नींद में सोए हुए के समान चेतना रहित हो गयी।

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