Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 173
________________ गुजराती अनुवाद : विकसित थयेला मुखवाळी प्रियंवदास चित्रपट खुल्लो कटी मने बाताव्यो अने कह्यु 'आ चित्रपट में मारा हाथे चित्रेल छे'! हिन्दी अनुवाद : तब विकसित मुखवाली प्रियंवदा ने चित्रपट खोलकर मुझे दिखाया और बोली- इस चित्र में जो है वह मेरे हाथ से बना है। . गाहा :तत्थ य पडम्मि लिहियं दट्टणमणंग-संनिभं तरुणं । अमएणव सित्ता हं जाओ हिययस्स आणंदो ।। २२४।। संस्कृत छाया :तत्र च पटे लिखितं छट्वाऽनङ्गसंनिभं तरुणम् । अमृतेनेव सिक्ताऽहं जातो हृदयस्याऽऽनन्दः ।।२२४।। गुजराती अनुवाद : सुरसुंदरी मूर्छ ते चित्रपटमां कामदेव समान युवानना चित्रने जोइने जाणे अमृत थी सिंचायेली न होय तेम मारा हृदयमां आनंद थयो. हिन्दी अनुवाद : _ सुरसुन्दरी मूर्छाउस चित्रपट में कामदेव समान युवक का चित्र को देखकर जैसे अमृत से सींचा गया हो, ऐसा हृदय में आनन्द हुआ। गाहा: चिर-परिचियव्व दिट्ठो दिट्ठी आणंद-बाह-पडिहत्था । जाया सव्व-सरीरे समुट्ठिओ बहल-रोमंचो ।।२२५।। संस्कृत छाया : चिरपरिचित इव छटो, इष्टरानन्दबाष्पपडिहत्था(पूर्णा) । जाता सर्वशरीरे समुत्थितो बहलरोमाञ्चः ।। २२५।। गुजराती अनुवाद : जाणे घणा समयनो परिचित न होय तेम ते चित्रमा रहेला युवान ने जोयो, दृष्टि हश्रुिथी भाइ गइ - सर्व शरीर खूब ज रोमांचित थयु. गुजराती अणा समयताइ गइ

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