Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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हिन्दी अनुवाद :
तब मैं कहा, हे बहन! आज तुम मेरे घर चलो और मेरे भाइयों की वत्सला
मेरी माँ का दर्शन करो।
गाहा :
भणियं पियंक्याएं पिक्खिस्सं माउसिं पडिनियत्ता । कारण- वसेण संपइ गच्छिस्सं भाउय- समीवं ।। २१९ ।।
संस्कृत छाया :
भणितं प्रियंवदया प्रेक्षिष्ये मातृष्वसारं प्रतिनिवृत्ता ।
कारणवशेन सम्प्रति गमिष्यामि भ्रातृसमीपम् ।। २१९ ।।
गुजराती अनुवाद :
प्रियंवदास कह्युं - 'हमणां खास कारणने लीधे हूं मारा भाई नी पासे जउं छं पाछा फरतां हूं मासीने मलीश !
हिन्दी अनुवाद :
प्रियंवदा कथन
अभी विशेष कारण को लेकर मैं अपने भाई के पास जा रही हूँ। वापस लौटते वक्त मैं मौसी से मिलूंगी।
गाहा :
इत्यत्थे निब्बंधं मा काहिसि उच्छुगा अहं इण्हिं ।
तत्तो य मए भणियं एवंति य किंतु पुच्छामि ।। २२० ।।
संस्कृत छाया :
अत्रार्थे निर्बन्धं मा कार्षीः उत्सुकाऽहमिदानीम् ।
ततश्च मया भणितमेवमिति च किन्तु पृच्छामि ।। २२० ।।
गुजराती अनुवाद :
प्रियंवदा कथन
आ विषय मां मने आग्रह करशो नहि कारणके भाईने मळवा हुं खुब उत्सुक घुं त्यारे मे कह्युं ठीक छे, पण हुं कंइक पूछवा मांगु छु. हिन्दी अनुवाद :
इस विषय में मुझसे आग्रह मत करना क्योंकि भाई से मिलने के लिए मैं खूब उत्सुक हूँ। तब मैंने कहा ठीक है लेकिन मैं कुछ पूछना चाहती हूँ।