Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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हिन्दी अनुवाद :
प्रियंवदा का मिलनएक बार मैं अनेक प्रकार की दासिओं से युक्त अपनी सखिओं सहित बाहर उद्यान में गयी थी। गाहा :
तत्थ य विविह-पगारं कीडंतीए तदेग-देसम्मि । दिट्ठा, पढम-वयत्था विज्जाहर-बालिया एक्का ।।१९२।। संस्कृत छाया :तत्र च विविधप्रकारं क्रीडयन्त्या तदेकदेशे ।
छष्टा प्रथमवयःस्था विद्याधरबालिकैका ।।१९२।। गुजराती अनुवाद :
त्यां विविध प्रकार नी क्रीडा करतां-करतां मे एकांत स्थान मां रहेली नवयौवना एक विद्याधर नी कन्या जोई। हिन्दी अनुवाद :
वहाँ अनेक प्रकार की क्रीड़ा करती-करती मैं एकान्त स्थान में बैठी एक युवा विद्याधर की कन्या को देखी। गाहा :
परिजविय किंचि मंतं उप्पइउ-मणा पसारइ भुयाओ।
उल्ललइ नह-यलम्मि निवडइ धरणीइ पुणरुत्तं ।।१९३।। संस्कृत छाया :
परिजप्य किञ्चिद् मन्त्रमुत्पतितुमनाः प्रसारयति भुजे ।
उल्ललति नभस्तले निपतति धरण्यां (पुण रुत्त) वारंवारम् ।।१९३।। गुजराती अनुवाद :
ते विद्याधर कन्या कोई मंत्रनो जाप कटी आकाशमा उडवा भुजाओ ऊंची करती हती, ऊपर आकाश मां उछळी फटी-फरी पृथ्वी ऊपर पडती हती! हिन्दी अनुवाद :
वह विद्याधर कन्या किसी मंत्र का जाप करते हुए आकाश में उड़ने के लिए अपनी दोनों भुजाएँ ऊपर करती थी और आकाश में उछल-उछल कर नीचे जमीन पर गिर पड़ती थी।