Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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गाहा :
वच्छे! उज्झसु सोयं चयसु भयं जणय - निव्विसेसस्स । साहिज्जउ मह एयं कम्मि पुरे तं समुप्पन्ना ? ।। १३७ ।। संस्कृत छाया :
वत्से ! उज्झ शोकं त्यज भयं जनकनिर्विशेषस्य । कथ्यतां ममैतत् कस्मिन् पुरे त्वं समुत्पन्ना ? ।। १३७ ।। गुजराती अनुवाद :
हे वत्से ! शोक छोडी दे, भयनो त्याग कर, पिता समान मने सर्ववृत्तांत कहे. क्या नगरमा तारो जन्म थयो छे.
हिन्दी अनुवाद :
हे पुत्री ! शोक को छोड़ दो और भय का त्याग कर दो और पिता समान मुझसे पूरा वृत्तान्त सुनाओ कि किस नगर में तेरा जन्म हुआ है ?
गाहा :
कस्रा व धूया कह वा इहागया कह व मज्झ उज्जाणे । पडिया सि नहयलाओ साहेसु सवित्यरं एवं ।। १३८ ।। संस्कृत छाया :
कस्य वा दुहिता ? कथं वा इहाऽऽगता ? कथं वा ममोद्याने । पतिताऽसि नभस्तलात् कथय सविस्तरमेतद् ।। १३८ ।।
गुजराती अनुवाद :
तुं कोनी पुत्री छे? क्यां थी आई? अने नभस्तलमांथी अहीं मारा उद्यानमा केवी रीते पडी ? ए सर्ववृत्तांत विस्तारपूर्वक कहे.
हिन्दी अनुवाद :
तूं किसकी पुत्री है ? कहां से आई है? और आकाश से मेरे इस उद्यान में तूं कैसे गिरी ? यह सारा वृत्तान्त विस्तारपूर्वक बताओ ।
गाहा :
अह सा एवं भणिया गुरु सोया सज्झसेण अभिभूया । उम्मुक्क- दीह - सासा न किंचि पडिउत्तरं देइ ।। १३९ ।।