Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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गुजराती अनुवाद :
अरे! जुओ सुमति नैमित्तिक- वचन बरोबर सत्य छे. तेथी हवे मने जल्दी पुत्रनुं दर्शन थशे. हिन्दी अनुवाद :
अरे देखो! सुमति नैमित्तिक का कथन विलकुल सच है। इसलिए मुझे शीघ्र ही पुत्र का दर्शन होगा। गाहा :
ता भो समंतभद्दय! सिग्धं आणेह बालियं तमिह ।
जीए पभावेण मए पिक्खेयव्वो स-पुत्तोत्ति ।। १३३।। संस्कृत छाया :तस्मात् भोः समन्तभद्र ! शीघ्रमानयत बालिकां तामिह ।
यस्याः प्रभावेण मया प्रेक्षितव्यः स्वपुत्र इति ।।१३३।। गुजराती अनुवाद :
तेथी हे समंतभद्र! ते बालिकाने जल्दी अहीं लाव. जेना प्रभावथी मारा पुत्रनुं दर्शन थशे। हिन्दी अनुवाद :___इसलिए हे समन्तभद्र! उस बालिका को शीघ्र यहाँ ले आओ जिसके प्रभाव से मेरे पुत्र का दर्शन होगा। गाहा :
वयणाणंतरमेव हि समंतभद्देण गंतुमाणीया। .
सा बालिया विणिज्जिय-सुर-जुवई-रूव-सोहग्गा ।।१३४।। संस्कृत छाया :
वचनान्तरमेव हि समन्तभद्रेण गत्वाऽऽनीता ।
सा बालिका विनिर्जितसुरयुवतिरूपसौभाग्या ।।१३४।। गुजराती अनुवाद :
सुरसुंदरीनुं आगमन राजानी आज्ञा थइ के तरत ज जेणे देवांगनाना रूप अने सौधाग्यनो तिरस्कार कर्यो छे तेवी ते बालिकाने समंतभद्र जइने लई आव्यो।