Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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हिन्दी अनुवाद :
सुरसुन्दरी का आगमनराजा की आज्ञा हुई कि जिसने देवांगना के रूप और सौभाग्य का तिरस्कार किया है उस बालिका को समन्तभद्र जाकर तुरन्त ले आयें। गाहा :तीए सरीर-सोहं पिच्छिय रन्ना विचिंतियं अव्वो! ।
आगारो च्चिय सूयइ इमीए सुकुलम्मि संभूई ।।१३५।। संस्कृत छाया :तस्याः शरीरशोभा प्रेक्ष्य राज्ञा विचिन्तितं अहो ! ।
आकार एव सूचयत्यस्याः सुकुले सम्भूतिम् ।।१३५।। गुजराती अनुवाद :
तेना शरीरनी शोध्या जोईने राजार विचार्यु अरे! आ बालानी आकृति तेनी सुकुलमा उत्पत्ति जणावे छे. हिन्दी अनुवाद :
उस बालिका के शरीर का सौन्दर्य देखकर राजा ने विचार किया कि अरे इस बालिका की आकृति से इसके किसी अच्छे कुल में पैदा होने का ज्ञान होता है। गाहा :उचियासणोवविठ्ठा सा कन्ना अमरकेउ-नरवइणा।
भणिया हिययन्मंतर-गुरु-सोगुव्वाय-पंडु-मुहा ।।१३६।। संस्कृत छाया :
उचितासनोपविष्टा सा कन्या अमरकेतु-नरपतिना ।
भणिता हृदयाभ्यन्तरगुरुशोकोद्वातपाण्डुमुखा ।।१३६ ।। गुजराती अनुवाद :
हृदयमा रहेला अतिशोकनी व्यथा वड़े फीक्का मुखवाली अने उचित आसन उपर बेठेली ते कन्याने अमरकेतु राजास पूछयु. हिन्दी अनुवाद :
हृदय में अति व्यथा के कारण फीके मुखवाली उचित आसन पर बैठी उस कन्या से अमरकेतु राजा ने पूछा।