Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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हिन्दी अनुवाद :
सुमति ज्योतिषी की बात मानकर आपने हमारी नियुक्ति पहले कुसुमाकर उद्यान की रक्षा के लिए की थी। गाहा :
तं च ति-संझं निच्चं पलोयमाणस्स एत्तिओ कालो। वोलीणो न य दिटुं किंचिवि नेमित्तियाइ8 ।।१०९।। संस्कृत छाया :
तच्च त्रिसन्थ्यं नित्यं, प्रलोकयत एतावान् कालः ।
गतो न च छटं, किञ्चिदपि नैमित्तिकादिष्टम् ।।१०९।। गुजराती अनुवाद :
त्यां त्रणे काळ हमेशा नजर राखता आटलो काळ पसार थयो पण नैमित्तिके कहेलुं कांइपण जोवामां आव्युं नहि। हिन्दी अनुवाद :
वहाँ तीनों वक्त हमेशा नजर रखते हुए इतने दिन बीत गए किन्तु ज्योतिषी के कहने के अनुसार कुछ भी दिखाई नहीं दिया। गाहा :
अज्ज पुण अप्पभाए गयणे उज्जाण-मज्झयारम्मि । कुसुमिय-साहि-समूहं इओ तओ पिच्छमाणेण ।।११०।। एगम्मि दिसा:भाए वल्लर-वेल्ली-सणाह-दुम-गहणे। उत्तासिय-हंस-उलो उट्ठाविओ सउण संदोहो ।।१११।। निसुओ विम्हय-जणओ बहिरिय-आसन्न-सत्त-सुइ-विवरो।
मुहरिय-दिसा-विभागो गरुय-खडक्कार-संसहो ।।११२।। संस्कृत छाया :
अद्य पुनरप्रभाते गगन उद्यानमध्ये । कुसुमितशाखिसमूहं इतस्ततः प्रेक्षमाणेन ।।११०।। एकस्मिन् दिग्भागे वल्लरवल्लिसनाथद्गुमगहने । उत्रासितहंसकुल उत्थापितः शकुनसन्दोहः ।।१११।।