Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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गुजराती अनुवाद :
अथवा तारा रूपना अवलोकनथी अपहरण करवानी बुद्धिवाला आकाश मां गमन करतां कोई विद्याधरना हाथमांथी तुं पडी गई छे?
हिन्दी अनुवाद :
अथवा तुम्हारा रूप देखकर अपहरण बुद्धि वाले आकाशगामी किसी विद्याधर के हाथ से छूटकर तू यहाँ गिर पड़ी?
गाहा :
साहेसु सुयणु ! एवं महंत कोऊहलं इमं मज्झ । नीसाहारा कह नह-यलाओ पडिया इहुज्जाणे ? ।। १२४ ।।
संस्कृत छाया :
कथय सुतनो ! एतद् महत्कुतूहलमिदं मम ।
निःस्वाधारा कथं नभस्तलात्पतिता इहोद्याने ? ।। १२४ ।
गुजराती अनुवाद :
हे सुतनु ! तुं आ वृत्तांत जणाव... मने ए सांभळवा विशेष कुतूहल छे. के आधार विनानी तुं गगनतलथी आ उद्यानमां केवी रीते पडी ?
हिन्दी अनुवाद :
हे बेटी ! तू यह वृत्तान्त मुझे बताओ। यह सुनने का मुझमें विशेष कुतूहल है कि बिना किसी आधार के आकाश से इस उद्यान में कैसे गिरी ?
गाहा :
इय सा भणिया भू- नाह! मज्झ पडिउत्तरं अदाऊण । गुरु- दुक्ख-सूयण- परं अंसु-जलं मोत्तुमारद्धा । । १२५ । ।
संस्कृत छाया :
इति सा भणिता भूनाथ ! मम प्रत्युत्तरमदत्त्वा ।
गुरुदुःखसूचनपरमश्रुजलं मोक्तुमारब्धा । । १२५ ।।
गुजराती अनुवाद :
विना
हे राजन् ! में तेने आ प्रमाणे पूछयुं त्यारे मने कंइपण प्रत्युत्तर आप्या बहु शोकने सूचनार एवा अश्रुजलने वहाववा मांडी.