Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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संस्कृत छाया :
कतिपयदिनैर्यन् अस्यामटव्यां वाणिजसार्थः ।
मम पुरुषै- विलुप्तः, प्राप्तं वित्तं तत्र प्रचुरम् ।। ४८ ।।
गुजराती अनुवाद :
केटलाक दिवसो पसार थया बाद आज अटवीमां मारा पुरुषोर वणिक लोको नो सार्थ लुट्यो अने तेमनी पासेथी घणुं धन प्राप्त कर्यु !
हिन्दी अनुवाद :
कितने दिन बीत जाने के बाद आज जंगल में हमारे लोगों ने बनियों के एक कारवां को लूटा और उनके पास से काफी धन प्राप्त किया।
गाहा :
अन्नं च तत्थ पत्ता तुक्खार - तुरंगमा बहुविहीया । ताणावाहण - हेउ अज्जेव पभाय - समयम्मि ।। ४९ ।। बाहिं नीहरिओ हं कमेण तुरगे ओ जाव वाहेमि । ताविक्केणं सहसा हरिओ विवरीय- सिक्खेण ।। ५० ।।
संस्कृत छाया :
अन्यच्च तत्र प्राप्ताः, तुक्खार - तुरङ्गमा बहुविधाः । तेषामावहनहेतुरद्यैव प्रभातसमये ।। ४९ ।। बहि र्निसृतोऽहं क्रमेण तुरगान् ओ यावद् वाहयामि । तावदेकेन सहसा, हृतो विपरीतशिक्षेण ।। ५० ।। युग्मम् गुजराती अनुवाद :
तथा वेमां उत्तम जातिना घोडा पण प्राप्त थया. ते घोडाओनां परीक्षा हेतु आजे ज सवारे हुं बहार नीकल्यो. क्रमवड़े अश्वोने ज्यां सुधी वहन करुं छं. त्यां तो एक विपरीत शिक्षावाळा घोडाए मारुं अपहरण कर्यु. हिन्दी अनुवाद :
उसमें उत्तम जाति के घोड़े भी प्राप्त हुए। उन घोड़ों की परीक्षा हेतु आज सबेरे बाहर निकला। क्रम से मैं घोड़ों की परीक्षा कर रहा था तभी एक विपरीत शिक्षावाले घोड़े ने मेरा अपहरण कर लिया।