Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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हिन्दी अनुवाद :
पुत्र अपहरणादि प्रश्नोत्तरहे कुलपति! आप अपने ज्ञान से यह पता कर बताइए कि मेरा पुत्र मर गया है या अभी जीवित है। मैं कभी उसे देख पाऊँगी या नहीं? तब कुलपति ने ध्यान से देखकर कहागाहा :
वच्छे! उच्छंग-त्थो तुह तणओ अवहिओ उ देवेण । पाण-विओयण-हेडं पुव्व-विरुद्धण कुद्धेण ।।३२।। संस्कृत छाया :
वत्से ! उत्सङ्गस्थस्तव, तनयोऽपहृतस्तु देवेन ।
प्राणवियोजनहेतुं, पूर्वविरुद्धेन कुद्धेन ।।३२।। गुजराती अनुवाद :
हे वत्स! पूर्वभवना विरोधी (क्रोधी) देवे मारी नाखवाना हेतुथी खोळामां रहेला तारा पुरनु अपहरण कर्यु छे. हिन्दी अनुवाद :
हे पुत्री! पूर्व जन्म का विरोधी क्रोधी देव ने मार डालने के लिये तुम्हारे पुत्र का अपहरण किया है। गाहा :
वेयड-गिरि-निउंजे नेऊण सिला-यलम्मि विउलम्मि।
मुक्को छुहाभिभूओ किल किच्छेणेस मरउत्ति ।।३३।। संस्कृत छाया :
वैतान्यगिरिनिकुञ्ज, नीत्वा शिलातले विपुले । मुक्तः क्षुधाभिभूतः किल कृच्छ्रेण एष प्रियतामिति ।।३३।। गुजराती अनुवाद :
वेताढ्य पर्वत उपर ना वनमां लइ जईने मोटी शिला ऊपर तेने मूक्यो, जेथी भूखथी पीडायेलो कष्ट पूर्वक बाळक मरी जाय. हिन्दी अनुवाद :
उसने वैताढ्य पर्वत के ऊपर स्थित वन में उसे ले जाकर बड़ी शिला पर रखा ताकि भूख से व्याकुल बालक कष्टपूर्वक मर जाय।