Book Title: Sramana 2016 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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गुजराती अनुवाद :
ते मणि कंठमां बांधेलो होवा छतां पण, हे पुत्र ! खोळामां रहेळा तारुं निर्दय एवा कोइ पिशाचे अपहरण. कर्यु !
हिन्दी अनुवाद :
उस मणि को कंठ में बंधे रहने पर भी हे पुत्र ! मेरी गोद से किसी निर्दयी पिशाच ने अपहरण कर लिया।
गाहा :
एमाइ बहु- विगप्पं पलवंतीए तहिं सुदीणाए ।
मदुक्ख दुक्खिया इव खीणा रयणीवि सहसत्ति ।। १० ।।
संस्कृत छाया :
एवमादि बहुविकल्पं प्रलपन्त्यास्तत्र सुदीनायाः । मदुःखदुःखितेव, क्षीणा रजन्यपि सहसेति । । १० । ।
गुजराती अनुवाद :
आ प्रमाणे दीनमुखी थईने बहु विलाप करती हती तेटलामां जाणे मारा दुःख थी दुःखी थयेली होय तेम रात्रि पण अकस्मात् क्षीण थई गई... हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार दीनमुखी होकर विलाप कर रही थी तभी रात्रि भी क्षीण हो गयी, जैसे मेरे दुःख से वह भी दुःखी हो गयी हो ।
गाहा :
अइकरुणं कंदंति दठुंव ममं ससोय वयणिल्ला ।
निवडंत - थूल - तारय- अंसूहिंव रुयइ नह लच्छी ।। ११ । ।
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संस्कृत छाया :
अतिकरुणं क्रन्दन्तीं दृष्ट्वेव मां सशोकवदना । निपतत्स्थूलतारका श्रुभिरिव रोदिति नभोलक्ष्मीः ।। ११ । ।
गुजराती अनुवाद :
अतिकरुण स्वरे भने आक्रंदन करती जोइने शोकातुर मुखवाळी आकाशलक्ष्मी खरी पडता मोटा ताराओ रूपी अश्रुओ वडे जाणे रोवा लागी ।