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पद्म पुराण में राम का कथानक और उसका सांस्कृतिक पक्ष : ४९
था इसलिए सुग्रीव आदि विद्याधर उससे युद्ध करने के लिए पीछे हटते हैं पर उन्हें अनन्तवीर्य केवली के वचन याद आते हैं कि जो इस कोटिशिला को उठायेगा उसी के हाथ से रावण का मरण होगा। लक्ष्मण कोटिशिला उठाकर अपनी परीक्षा देता है। सुग्रीव आदि को विश्वास हो जाता है तब सबके सब वानरवंशी विद्याधर रावण के विरुद्ध राम के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। हनुमान राम का संवाद लेकर सीता के पास जाते हैं और सीता का सन्देश लाकर राम के पास आते हैं।
सुग्रीव आदि विद्याधरों की सहायता से समस्त सेना आकाश मार्ग से लंका पहँचती है। रावण बहुरूपिणी विद्या सिद्ध करता हैं। हनुमान आदि उसकी विद्यासिद्धि में बाधा डालने का प्रयत्न करते हैं पर रावण अपनी दृढ़ता से विचलित नहीं होता है और विद्या सिद्ध करके ही उठता है। इधर विभीषण से रावण का मतभेद होता है फलत: विभीषण रावण का साथ छोड़ राम से आ मिलता है। राम विभीषण को लंका का राजा बनाने का संकल्प करते हैं। दोनों ओर से घमासान युद्ध होता है। लक्ष्मण एक शक्ति से आहत होता है, किन्तु विशल्या के स्नान जल से वह ठीक हो जाता है। अन्त में रावण लक्ष्मण पर चक्र चलाता है, पर वह प्रदक्षिणा देकर लक्ष्मण के हाथ में आ जाता है और लक्ष्मण उसी चक्र से रावण का वध करता है। लक्ष्मण प्रतिवासुदेव का वध कर वासुदेव के रूप में प्रकट होता है।
___अयोध्या में राम-लक्ष्मण लौट कर राज्य करने लगते हैं। भरत विरक्त हो दीक्षा ले लेता है। राम लोकोपवाद से त्रस्त होकर गर्भवती सीता को वन में छुड़वा देते हैं। सीता राजा वज्रजंघ के आश्रय में रहती है। वहीं उसके लवण और अंकुश नामक दो पुत्र उत्पन्न होते हैं। बड़े होने पर लवण और अंकुश राम-लक्ष्मण से युद्ध करते हैं। अन्त में नारद के निवेदन पर पिता-पुत्रों में मिलाप होता है। हनुमान, सुग्रीव, विभीषणादि के कहने पर राम सीता को बुलाते हैं, सीता अग्निपरीक्षा देती है और उसके बाद साध्वी बन जाती है। एक दिन दो देव राम और लक्ष्मण का स्नेह परखने के लिए आते हैं। वे झूठ-मूठ ही लक्ष्मण से कहते हैं कि राम का देहान्त हो गया। उनकी बात सुनते ही लक्ष्मण की मृत्यु हो जाती है। भाई के स्नेह से विवश हो राम छ मास तक लक्ष्मण का शव लिये फिरते हैं। अन्त में कृतान्तवक्त्र सेनापति का जीव जो देव हुआ था, उसकी चेष्टा से वस्तुस्थिति समझ लक्ष्मण की अन्त्येष्टि करते हैं और अन्त में राम विरक्त हो तपश्चर्या कर मोक्ष प्राप्त करते हैं।
__ जैन साहित्य में राम कथा की दो धाराएँ उपलब्ध हैं। प्रथम धारा में पूर्वोक्त कथा है जो कि पद्म पुराण में है। दूसरी धारा ९वीं, १०वीं शती ई० में जन्में
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