________________
महावीर कालीन मत-मतान्तर : पुनर्निरीक्षण : ८३
३५. सूत्रकृतांग, प्रथम श्रुतस्कंध, बारहवाँ अध्ययन, सूत्र १,२,३,४ गाथा ५३५
५४८. ३६. डॉ० गोविन्द चन्द पाण्डे, बौद्ध धर्म के विकास का इतिहास, लखनऊ, १९७६,
पृष्ठ ३५. ३७. सूत्रकृतांग, उपरोक्त बारहवाँ अध्ययन, शीलांकवृत्ति पत्रांक २२२ से २२३,
पृष्ठ ४०९, गाथा ५४५, विद्वान क्रियावाद को स्वभाववाद के निकट बताते हैं,
किन्तु इसमें मत-मतान्तर है। ३८. औपपातिक सूत्र, जिनागम ग्रंथमाला, ग्रंथांक १३, श्री आगम प्रकाशन समिति,
ब्यावर, राजस्थान, पृष्ठ १५५. ३९. प्रश्नव्याकरण सूत्र, सन्मति ज्ञानपीठ, १९७३, सूत्र सं० ७, पृष्ठ १५६,
द्वितीय अध्ययन। ४०. अनुयोगद्वार सूत्र, जिनागम ग्रंथ माला, अंक २८, श्री आगम प्रकाशन समिति
ब्यावर, प्रकाशित, सूत्र, पृष्ठ ३६. ४१. श्रीभगवती सूत्रम्, वीराणी स्मारक ट्रस्ट, व्याख्या-श्री कन्हैयालाल जी महाराज,
अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्थानक जैन शास्त्रोद्धार समिति, १९६५, शतक ६, उद्देश्क १०; अभिधान राजेन्द्र में इन्हें अन्य यूथिकों की सूची में रखा गया है।
किन्तु इनका विशेष अर्थ नहीं बताया गया। ४२. जोगेन्द्र चन्द्र सिकदर, स्टडीज इन द भगवती सूत्र, प्राकृत जैन इंस्टिट्यूट
रिसर्च पब्लिकेशन सिरीज, मुज्जफरपुर, १९६४, भाग प्रथम, पृष्ठ ४५५. ४३. सर मोनियर मोनियर विलियम्स, अ संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी, दिल्ली १९७६,
पृष्ठ २७७. ४४. सूत्रकृतांग सूत्र, द्वितीय श्रुतस्कंध, द्वितीय अध्ययन, सूत्र सं० ७०६, पृष्ठ ६६. ४५. सूत्रकृतांग सूत्र, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, द्वितीय अध्ययन, सूत्र ७१३, पृष्ठ ९२. ४६. सूत्रकृतांग सूत्र, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, द्वितीय अध्ययन, सूत्र ७१४, पृष्ठ ९३. ४७. सूत्रकृतांग सूत्र, उपरोक्त, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, द्वितीय अध्ययन, सूत्र ७१५, पृष्ठ
९७. ४८. सूत्रकृतांग सूत्र, द्वितीय, श्रुतस्कन्ध, द्वितीय अध्ययन, सूत्र ७१६, पृष्ठ ९८. ४९. औपपातिक सूत्र, उपरोक्त, सूत्र संख्या ७३, पृष्ठ १२४. ५०. औपपातिक सूत्र, सूत्र संख्या ७४, पृष्ठ १२५.
५१. भगवती सूत्र, शतक ११, उद्देशक ९. Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org