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१५२ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक १/जनवरी-मार्च २००६
(शैक्षिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ) श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में गोम्मटेश प्राकृत विश्वविद्यालय
की स्थापना का प्रस्ताव श्री श्रवणबेलगोला में परम पूज्य आचार्य श्री विद्यानन्द मुनिराज के पावन मार्गदर्शन में आचार्य श्री वर्द्धमानसागर जी के पावन सान्निध्य एवं पूज्य स्वस्तिश्री भट्टारक चारुकीर्ति स्वामी के कुशल नेतृत्व में २८ दिसम्बर २००५ से १ जनवरी २००६ तक अ०भा० जैन विद्वत् सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ, जिसमें देश के लगभग १५० जैनविद्या के विद्वान् सम्मिलित हुए। प्रो० राजाराम जैन, दिल्ली की अध्यक्षता, प्रो० प्रेम सुमन जैन, उदयपुर के निर्देशन एवं प्रो० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' वाराणसी के संयोजन में सम्पन्न इस अ०भा० जैन विद्वत् सम्मेलन में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ कि प्राकृत साहित्य, जैन कला और ताड़पत्रीय पाण्डुलिपियों के केन्द्र श्रवणबेलगोला में शीघ्र ही गोम्मटेश प्राकृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाय। देश का यह प्रथम प्राकृत विश्वविद्यालय होगा। इसमें श्रमण संस्कृति से सम्बद्ध प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत, कन्नड़ आदि सभी भाषाओं, जैन कला, शिल्प और पुरातत्त्व, गणित, आयुर्वेद, विज्ञान और समाजशास्त्र आदि विषयों का आधुनिक शोध-अनुसंधान के परिप्रेक्ष्य में शिक्षण- . अनुसंधान होगा। ___इस गोम्मटेश प्राकृत विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महामस्तकाभिषेक समिति २००६ पाँच करोड़ रुपयों की स्थापना राशि प्रदान करेगी एवं जैन मठ श्रवणबेलगोला अन्य आर्थिक साधन-सुविधाएँ जुटायेगा। राज्य एवं केन्द्र सरकार से मान्यता एवं सहयोग भी प्राप्त किया जायेगा। इसके लिए पूज्य स्वस्ति श्री भट्टारक चारुकीर्ति स्वामी जी की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय से सक्रियरूप से प्राकृत से जुड़े हुए इन सात विद्वानों की एक प्रस्ताव समिति (प्रपोजल कमेटी) बनाई गयी है - १. प्रो० कमलचन्द सोगानी (जयपुर), २. प्रो० राजाराम जैन (दिल्ली), ३. प्रो० भागचन्द जैन 'भास्कर' (नागपुर), ४. प्रो० प्रेम सुमन जैन (उदयपुर), ५. प्रो० फूलचन्द जैन प्रेमी (बनारस), ६. प्रो० शुभचन्द्र जैन (मैसूर) एवं ७. प्रो० नलिन शास्त्री (दिल्ली)। यह समिति तीन माह के भीतर विश्वविद्यालय का प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत करेगी। तदुपरान्त एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति (वर्किंग कमेटी) गठित की जायेगी, जो यू०जी०सी० के नियमों के अनुरूप इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए साधन-सुविधाएँ जुटायेगी। इस गोम्मटेश
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