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८६ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक १/जनवरी-मार्च २००६
१) सभी धर्मों के उत्सवों के सामूहिक आयोजन २) विभिन्न धर्मों द्वारा समाज सेवा के सम्मिलित कार्यक्रम ३) सर्वधर्म संगोष्ठियों का आयोजन ४) शिक्षा के द्वारा सभी धर्मों के मानने वालों में एकता का भाव लाना ५) राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र संगठन का निर्माण जो धार्मिक एवं
आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों एवं जागरूक नागरिकों द्वारा संचालित हो।
इस प्रकार इस सम्मेलन में घोषणा की गई कि आध्यात्मिक मूल्यों द्वारा • भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास किया जायेगा। विश्व में शान्ति के प्रयास ।
संयुक्त राष्ट्र संघ (यू०एन०ओ०) सारे विश्व में शान्ति की स्थापना का प्रयास कर रहा है। इसके घोषणा-पत्र में लिखा है कि जिस प्रकार युद्ध का प्रारम्भ मनुष्य के मन में होता है, उसी प्रकार शान्ति की संरक्षा का कार्य भी मनुष्य के मन में उत्पन्न होना चाहिये। संयुक्त राष्ट्र संघ का ही एक महत्त्वपूर्ण अंग है -यूनेस्को (United Nations Educational, Social and Cultural Organisaiton) 57 शिक्षा, समाज तथा संस्कृति के विकास का कार्य करता है। अपने प्रस्ताव संख्या ५२/१५ द्वारा यूनेस्को ने वर्ष २००० को शान्ति की संस्कृति का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया। उसके बाद प्रस्ताव संख्या ५३/१२ द्वारा २००१ से २०१० की दशाब्दि को "विश्व के बालक-बालिकाओं के लिए शान्ति एवं अहिंसा की दशाब्दि" घोषित किया। इसी संस्था के द्वारा प्रति वर्ष विश्व में सर्वाधिक शान्ति का प्रचार करने वाले व्यक्ति को "नोबल शान्ति पुरस्कार" द्वारा सम्मानित किया जाता है। सन् १९०१ से प्रारम्भ हुए इस पुरस्कार द्वारा अब तक १०२ व्यक्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही के वर्षों में जिन महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को सम्मानित किया गया उनमें मार्टिन लूथरकिंग, हेनरी किसिंगर, मदर टेरेसा, मिखाइल गोरबाचेव, नेलसन मंडेला, यास्सर अराफात, कोफी अन्नान एवं जिम्मि कार्टर का नाम सम्मिलित है। सन २००२ में यूनेस्को ने "नोबल शान्ति पुरस्कार" प्राप्त व्यक्तियों से पूछा कि विश्व में शान्ति और अहिंसा की स्थापना के लिए आपके क्या सुझाव हैं। शान्ति के मसीहा इन व्यक्तियों ने कहा कि शान्ति की स्थापना के लिए आवश्यक है कि बाल्यकाल से ही विद्यार्थियों के जीवन में कुछ मूल्यों का प्रचार किया जाय। उन्होंने जिन जीवन-मूल्यों के प्रचार पर विशेष जोर दिया, उनमें से मुख्य निम्न हैं :
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