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जैन जगत्
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प्रो० सागरमल जी जैन को वर्ष २००६ का यह सम्मान दिया जायेगा। शताधिक पुरस्तकों के लेखक और सम्पादक, शाजापुर में जन्में ७४ वर्षीय प्रो० जैन एक विश्रुत जैन विद्वान हैं। दर्जनों विद्यार्थियों ने उनके निर्देशन में शोध किया है। उनके सैकड़ों शोध आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए व हो रहे हैं। देश विदेश में उनके अनेकों व्याख्यान हो चुके हैं। प्रो० जैन का 'जैन, बौद्ध व गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन' विषयक विस्तृत शोध-प्रबन्ध विद्वत् जगत् में अत्यधिक चर्चित हुआ। मंत्री गणेशलाल गोखपू ने बताया कि यह सम्मान प्रो० जैन को उदयपुर में आयोजित समारोह में प्रदान किया जायेगा। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व भी प्रो० जैन डीप्टीमल पुरस्कार, दर्शन जगत् के विशिष्ट स्वामी प्रणवानन्द पुरस्कार आदि अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। डॉ० जैन सेन्टर आफ जैन स्टडीज, लन्दन के सदस्य मनोनित
प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली के निदेशक एवं प्राकृत और जैनदर्शन के ख्याति प्राप्त . विद्वान प्रो० ऋषभचन्द्र जैन लन्दन युनिवर्सिटी में स्कूल आफ ओरियन्टल एण्ड अफ्रिकन स्टडीज के अन्तर्गत सेन्टर आफ जैन स्टडीज के एशोसिएट मेम्बर मनोनीत किये गये
हैं। यह संस्थान परिवार एवं बिहार सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के लिए गौरवपूर्ण है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ की डॉ० जैन को बधाई।
भगवान महावीर फाउण्डेशन, चेन्नई द्वारा आयोजित
"डॉ० नेमीचन्द जैन स्मृति पुरस्कार"
हेतु शाकाहार विषयक श्रेष्ठ पुस्तकें चयनित भगवान महावीर फाउण्डेशन, चेन्नई द्वारा आयोजित "डॉ० नेमीचन्द जैन स्मृति पुरस्कार' के अन्तर्गत शाकाहार विषयक हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में आलेखित श्रेष्ठ एक-एक कृति को ५१०००-५१००० (इक्यावन-इक्यावन हजार) रुपये की राशि से पुरस्कृत करने हेतु चयनित किया गया है। फाउण्डेशन हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में शाकाहार विषयक श्रेष्ठ लेखन के लिये लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिये उपरोक्त विशेष पुरस्कार प्रदान कर रहा है।
ज्ञातव्य है कि भगवान महावीर फाउण्डेशन की स्थापना सन् १९९४ में . चेन्नई के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं उद्योगपति श्री एन० सुगालचन्दजी जैन (सिंघवी) द्वारा की गई। फाउण्डेशन का मुख्य उद्देश्य शाकाहार, शिक्षा, चिकित्सा एवं
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