Book Title: Sramana 2006 01
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi
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प्रतीत्यसमुत्पाद और निमित्तोपादानवाद
८. (i) द्विविधो हेतुर्बाह्य आभ्यन्तरश्च, राजवार्तिक : आ० अकलंकदेव, अ० - २
सूत्र ८ नई दिल्ली, १९९३.
(ii) लघु जैन सिद्धान्त - प्रवेशिका, पृ० ३८, जयपुर, १९९३.
९. द्रव्य गच्छतीति द्रव्य कारणम् ।
राजवार्तिक, अ० १, सूत्र नं० ३३, पृ० ९५.
१०. लघु जैन सिद्धान्त- प्रवेशिका, पृ० ३९.
११. तन्नोपादानमर्थस्य क्षणिक शाश्वतं यथा ।
अष्टसहस्त्री, श्लोक ५८ की टीका, पृ० २१०.
a (i) जैन सिद्धान्त प्रवेश रत्नमाला : पं० कैलाशचंद सिद्धान्त शास्त्री, द्वितीय भाग, पृ० ७१, देहरादून।
(ii) पुव्वपरिणाम जुतं कारण भावेण वट्टदे दव्वं ।
उत्तरपरिणाम जुदं तं चिय कज्जं हवे णियमा ||
१२. कार्तिकेयानुप्रेक्षा गा० २२५-२२६, पृ० १०२.
१३. न्यायकुमुदचन्द्र परिशीलन, पृ० २१४
१४. वही पृ० ३२१-३२२.
कार्तिकेयानुप्रेक्षा: आ० कार्तिकेय, गा० २३०, जयपुर, १९९६.
b (i) निमित्तोपादान : डॉ० हुकुमचंद भारिल्ल, पृ० ७८, जयपुर १९९७. (ii) प्रमेयकमलमार्तण्ड, भाग २, अ० - १, पृ० १८७, मेरठ,
वी०नि० सं० २५०४.
a
:
६५
आप्तमीमांसा तत्त्वप्रदीपिका : प्रो० उदयचंद जैन, पृ० २०६, वाराणसी, वीरनि० सं० २५०१.
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b
(i) जैनेन्द्र सिद्धांत कोश : क्षु० जिनेन्द्र वर्णी, भाग-२, पृ०५६,
नई
दिल्ली।
(ii) आप्तमीमांसा : आ० समन्तभद्र, का० ४३.
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